पं. मनोज कृष्ण शास्त्री, बनारस : पूजा में विशेष फल की प्राप्ति के लिए कई प्रकार के यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। जैसे धन प्राप्ति की कामना के लिए कुबेर यंत्र और लक्ष्मी यंत्र की पूजा की जाती है। इसी तरह से मंगल यंत्र की पूजा मंगल ग्रह को शांत करने के लिए की जाती है, लेकिन इनके अलावा भी विशेष मंत्रो, चिन्ह और आकृतियों का प्रयोग करके कई प्रकार के यंत्र बनाए जाते हैं। ये यंत्र बहुत शक्तिशाली माने जाते हैं। इनकी विधिवत् पूजा से शीघ्र लाभ प्राप्त किया जा सकता है। हर व्यक्ति के लिए एक ही यंत्र का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। इनका प्रयोग करते समय विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है, अन्यथा लाभ के स्थान पर आपको नुकसान भी झेलना पड़ सकता है।
क्या होते हैं यंत्र : यंत्र बनाने के लिए विशेष तरह के अंको, चिन्हों और आकृतियों का प्रयोग किया जाता है, इसलिए यंत्र एक विशेष प्रकार की ज्यामितीय संरचना होते हैं। चिन्ह, रेखाओं और बिंदु के द्वारा बने हुए यंत्र बहुत ही शक्तिशाली होते हैं। जिस तरह के इनका निर्माण अत्यंत कठिन होता है उसी तरह से इनका प्रयोग करना भी कठिन होता है। कुछ यंत्रों का निर्माण अंको के द्वारा किया जाता है। इन यंत्रों का प्रयोग और निर्माण दोनों ही सरल होता है। किसी भी प्रकार के यंत्रों का प्रयोग बहुत ही आवश्यक होने पर सावधानी के साथ करना चाहिए।
किस तरह के कार्य करते हैं यंत्र : यंत्रों का निर्माण अंको, बिंदुओं, शब्दों और मन्त्रों को आकृतियों को ढालकर किया जाता है। यंत्रों में आकृतियों को विशेष नक्षत्रों में बनाया जाता है। इसके बाद यंत्र में लिखे गए शब्दों मंत्रो आदि को जाग्रत किया जाता है। इसी तरह के इन यंत्रों का प्रयोग भी नक्षत्रों को ध्यान में रखकर किया जाता है। जिससे ये यंत्र आकाश मंडल और वातावरण की ऊर्जा को साधक तक पहुंचाते हैं।
यंत्रों को प्रयोग करने के फायदे और नुकसान : यंत्र का प्रयोग करने से जिस तरह अतिशीघ्र फल की प्राप्ति होती है उसी तरह से हानि भी बहुत तेजी से होती है। यंत्र के निर्माण और प्रयोग दोनों में ही सावधानी रखने की आवश्यकता होती है। सही तरह से बनाया और सही प्रकार से प्रयोग किया गया यंत्र जहां ग्रहों की ऊर्जा को आपके अनुकूल बनाकर आपको लाभांवित करता है वहीं यंत्र के निर्माण या प्रयोग में यदि गलती हो जाए तो आपको इनके दुष्परिणाम भी झेलने पड़ सकते हैं।
*श्री यंत्र : यह मूल रूप से किसी व्यक्ति के नाम, प्रसिद्धि और समग्र व्यक्तित्व और मान्यता को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।
*कुबेर यंत्र : इसका उपयोग वित्तीय लाभ और धन पर पकड़ के लिए किया जाता है।
*संतान प्राप्ति-गणेश यंत्र : संतान गोपाल, नवग्रह, सर्व कार्य सिद्धि एवं पति-पत्नी की राशि का मंत्र।
*नवग्रह यंत्र : यह सभी नौ ग्रहों के प्रभाव को शांत करते हैं और जीवन में शांति प्राप्त होती है।
*धनवृद्धि के लिए : श्री गणेश, महालक्ष्मी, कुबेर एवं श्रीयंत्र की स्थापना करनी चाहिए।
*व्यापारिक सफलता के लिए : श्री गणेश, कुबेर, नवग्रह एवं व्यापार वृद्धि यंत्र स्थापित करें।
निष्कर्ष : प्रथम, हमारे लिए सबसे शक्तिशाली यंत्र हमारे ईष्टदेव का है। दूसरा, यंत्र का निर्माण हाथ द्वारा शुभ समय में किया होना चाहिए। तीसरा, यंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा ठीक से की जानी चाहिए। और अंतिम, यंत्र को पूजा-स्थल पर स्थापित करने के उपरांत प्रतिदिन उसका पूजन अनिवार्य है।
नोट: एक विशेषज्ञ ज्योतिषी द्वारा परामर्श के बगैर और किसी भी ऊर्जा के बिना लिया गया यन्त्र किसी काम का नहीं है।
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जोतिर्विद दैवज्ञ
पं. मनोज कृष्ण शास्त्री
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