क्या होता है नीचभंग राजयोग? क्या पड़ता है इसका व्यक्ति पर प्रभाव

वाराणसी । ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में ग्रह उच्च राशि, मूल त्रिकोण राशि, स्व राशि, मित्र राशि, सम राशि, शत्रु राशि और नीच राशि में उपस्थित होता है। इस प्रकार उच्च राशि में ग्रह के होने पर शुभ प्रभाव पड़ता है और नीच राशि में होने पर बुरा प्रभाव पड़ता है। लेकिन कई बार कोई नीच ग्रह इस तरह बैठा होता है कि उसकी नीच अवस्था समाप्त हो जाए और वह प्रबल तौर पर राजयोग कारक ग्रह बन जाए तो उसे वैदिक ज्योतिष में नीचभंग राजयोग कहते हैं। इस योग में रंक को राजा बनाने की क्षमता है।

कुंडली में नीचभंग राजयोग का निर्माण : यदि किसी कुंडली में एक उच्च ग्रह के साथ एक नीच ग्रह रखा जाता है, तो कुंडली में नीचभंग राजयोग बनता है। उदाहरण के लिए, यदि शुक्र और बुध को मीन राशि में रखा जाता है, जहां बुध दुर्बल है और शुक्र उच्च है तो नीचभंग राजयोग बनता है।

यदि किसी कुंडली में कोई ग्रह अपनी नीच राशि में बैठा हो और उस राशि का स्वामी लग्न भाव या चंद्रमा से केंद्र स्थान में हो तो कुंडली में नीचभंग राजयोग बनता है। उदाहरण के तौर पर बृहस्पति की नीच राशि मकर है और मकर का स्वामी शनि यदि चंद्रमा से केंद्र स्थान में हो तो नीचभंग राजयोग बनता है।

यदि किसी कुंडली में कोई ग्रह अपनी नीच राशि में हो और उस राशि में उच्च होने वाला ग्रह चंद्रमा से केंद्र स्थान में हो तो नीचभंग राजयोग बनता है। उदाहरण के लिए शनि की नीच राशि मेष है और सूर्य की उच्च राशि मेष है। सूर्य चंद्रमा से केंद्र स्थान में हो तो इस राजयोग का निर्माण होता है।

यदि किसी कुंडली में नीच ग्रह के स्वामी की दृष्टि भी किसी नीच ग्रह पर हो तो नीचभंग राजयोग बनता है। जैसे- बुध की नीच राशि मीन है और मीन का स्वामी गुरु है और गुरु की दृष्टि बुध पर हो तो नीचभंग राजयोग बनता है।

यदि किसी कुंडली में किसी ग्रह की नीच राशि का स्वामी और उसकी उच्च राशि का स्वामी परस्पर केंद्र स्थान में हो तो नीचभंग राजयोग बनता है। उदाहरण के तौर पर मंगल की नीच राशि का स्वामी चंद्रमा है और मंगल की उच्च राशि का स्वामी शनि है। दोनों परस्पर केंद्र स्थान में हो तो नीचभंग राजयोग बनता है।

इसके अलावा यदि किसी कुंडली में नीच का ग्रह वक्री हो तो नीचभंग राजयोग बनता है।
यदि नीच ग्रह कुंडली में नौवें घर में उच्च का है तो नीचभंग राजयोग बनता है।

नीचभंग राजयोग का प्रभाव : यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य की वजह से नीचभंग राजयोग बनता है तो उसे राज्य की तरफ से लाभ प्राप्त होता है। जातक अपनी नीतियों को वरिष्ठ लोगों के सहयोगों से सफल बनाने में सक्षम होता है।

यदि किसी कुंडली में बुध की वजह से नीचभंग राजयोग बनता है तो जातक की बुद्धि अनैतिक कार्यों को करने में लग सकती है। परंतु उसके मित्रगण उसे सही दिशा में वापस ला सकते हैं।

यदि किसी कुंडली में चंद्रमा की वजह से नीचभंग राजयोग बनता है तो जातक काफी भावुक और जल्दी से विश्वास करने वाला बन जाता है, इसकी वजह से उसे विश्वासघात मिल सकता है।

यदि किसी कुंडली में मंगल की वजह से नीचभंग राजयोग बनता है तो जातक अधिक उग्र हो सकता है और जल्दबाजी में गलत काम भी कर सकता है। हालांकि जातक को सरकारी नौकरी मिल सकती है और प्रॉपर्टी का लाभ भी मिल सकता है।

यदि किसी कुंडली में शुक्र की वजह से नीचभंग राजयोग बनता है तो जातक को प्रसिद्धि और पैसा मिल सकता है। जातक के अंदर अहंकार आ जाता है और वह दिखावा करने लगता है।

यदि किसी कुंडली में गुरु की वजह से नीचभंग राजयोग बनता है तो जातक की बुद्धि, ज्ञान में वृद्धि होती है और वह कार्यकुशल हो जाता है।

यदि किसी कुंडली में शनि की वजह से नीचभंग राजयोग बनता है तो जातक कार्यकुशल और व्यवाहारिक हो जाता है।

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पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

ज्योतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

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