विनय सिंह बैस की कलम से…लाइफ सर्टिफिकेट

विनय सिंह बैस, नई दिल्ली । जंगल वाले टाइगर के साथ तो ऐसी कोई मजबूरी नहीं है लेकिन फौज वाले रिटायर्ड टाइगर्स को हर साल नवंबर के महीने में यह साबित करना पड़ता है कि वह जिंदा हैं। तभी उनकी पेंशन जारी रहती है।

पिछले साल इसी महीने जब एसबीआई वाली मैडम से मैंने कहा कि पेंशन एकाउंट के लिए लाइफ सर्टिफिकेट देना है। तो उन्होंने पूछा था :- “किसका लाइफ सर्टिफिकेट देना है सर?”
मैंने कहा :-“मेरा यानी विनय सिंह बैस का और किसका?”
यह सुनकर मैडम स्माइल देते हुए बोली थी :-“सर, देखने से तो आप रिटायर्ड बिल्कुल नहीं लगते हैं।”

मैंने भी झाड़ पर चढ़ते हुए डॉयलाग दे मारा था :-“संतूर साबुन से नहाता हूँ मैं। इसलिए मेरी त्वचा से मेरी उम्र का पता नहीं चलता मैडम।”
हालांकि इस डॉयलाग की कीमत मुझे एसबीआई का क्रेडिट कार्ड लेकर चुकानी पड़ी थी।

कल लाइफ सर्टिफिकेट देने गया तो मैडम ने फिर स्माइल देते हुए कहा :- “सर आपको देखते हुए नहीं लगता कि आप रिटायर हो चुके हैं!!”
लेकिन इस बार मैं बिल्कुल भी नहीं पिघला। सख्त मर्द बनते हुए पूरी गंभीरता से कहा :-“मैडम मुझे रिटायर हुए कई साल हो गए हैं। क्रेडिट कार्ड मैंने ले लिया है। एफडी करवाने के लिए एक्स्ट्रा पैसे नही हैं तथा लाइफ इन्सुरेंस पॉलिसी, म्यूचअल फण्ड की मुझे जरूरत नहीं है।”

फिर मैडम ने बेमन से रजिस्टर मेरी ओर बढ़ाया और मैंने हस्ताक्षर करके उन्हें वापस कर दिया।
पता नहीं मैडम ने इस बार स्माइल क्यों नहीं दी।IMG-20221105-WA0003

विनय सिंह बैस
एयर वेटरन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *