क्या है भकूट दोष और इस दोष के नकारात्मक प्रभाव

वाराणसी। विवाह कुंडली, मंगनी के दौरान भकुट को एक आवश्यक कारक माना जाता है। इसमें अधिकतम 7 अंक होते हैं। जब कुंडली का मिलान “अष्टकूट गुण मिलन” के माध्यम से किया जाता है तब भकूट दोष बहुत महत्वपूर्ण और चिंता का विषय बनता है। भकूट का स्थान ऊपर से दूसरा और नीचे से सातवाँ होता है। गुण मिलान के नियमों के अनुसार कुंडली मिलान या विवाह कुंडली के उद्देश्य से गुण नियत किए जाते हैं। एक सफल विवाह के लिए भकूट दोष के प्रभाव को निरस्त करना महत्वपूर्ण होता है।

भकूट का अर्थ : वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब जोड़ियों की जन्म कुंडली में चंद्र राशियाँ प्रतिकूल योग बनाती हैं जैसे 6-8, 9-5 या 12-2 तब भकूट दोष का योग बनता है, जो एक आनंदमय विवाह के लिए हानिकारक हो सकता है। यह संयोग ऐसे बनाए गए हैं-
यदि लड़का मेष राशि से है और लड़की कन्या राशि से है, तो लड़के का चंद्रमा लड़की के चंद्रमा से आठवें स्थान पर होगा और लड़की का चंद्रमा लड़के के चंद्रमा से छठे स्थान पर होगा। इस विषय में, 6-8 संयोजन बनता है।
6-8 संयोजन की कुंडली में भकूट होती है: यह संयोजन युगल के स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है और इसमें ऑपरेशन का भी योग बनता है।
भकूट 9-5 संयोजन: इससे संतान संबंधी समस्याएं और रिश्तों में कई बड़ी समस्याएं आ सकती हैं। (जहाँ एक व्यक्ति का चन्द्रमा कन्या हो और दूसरे व्यक्ति की वृष राशि हो)
12-2 संयोजन से भी कुंडली में भकुट दोष उतपन्न होता है: इस दोष से वित्तीय जीवन, बुरी तरह प्रभावित होने की संभावना होती है और विवाह में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां आती हैं। (जहां एक व्यक्ति का चंद्रमा मिथुन हो और दूसरे व्यक्ति का वृषभ हो)
भकूट दोष के अतिरिक्त युगल की जन्म कुंडली में अन्य हानिकारक कारक भी उपस्थित होते हैं, इससे किसी एक साथी की मृत्यु भी हो सकती है। एक शादी में कई असहमति और झगड़े होने की संभावना होते हैं जो तलाक का कारण भी बन सकते हैं।

भकूट दोष का नकारात्मक प्रभाव –
वैवाहिक जीवन में भकूट दोष कई गंभीर विषयों को अपनी ओर खींचता है। यह समस्याएं अचानक उत्पन्न नहीं होंगी लेकिन धीरे-धीरे यह विवाहिक संबंध को खोखली करती रहेंगी। लोगों को निम्नलिखित प्रभावों को ध्यान देना होगा –
इनके विवाह में आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ेगा। यह समस्या कई तरह से हो सकती है। उदाहरण के लिए भागीदारों में से एक पूरी तरह से दूसरे पर निर्भर होने के कारण, भारी निवेश या कड़ी मेहनत के बाद व्यापार में विफलता आ सकती है।

संतान प्राप्ति में परेशानी हो सकती है। यह शादी में असंतुष्ट शारीरिक संबंध जैसे मुद्दों को भी उजागर करता है।
उन्हें अपने रिश्ते में लगातार असहमति और झगड़े का सामना करना पड़ेगा जिससे कानूनी अलगाव या तलाक हो सकता है।
यदि आपकी कुंडली में भकूट दोष किसी अन्य अशुभ दोष के साथ आता है तो यह एक साथी की मृत्यु का कारण भी बन सकता है।

यह दोष को ठीक करना आवश्यक है क्योंकि यह अंततः पति-पत्नी के विवाहित जीवन में कई समस्याओं को जन्म देगा। दोष को विफल करने से आपको अपने जीवन में कई ऐसे अवांछित और नकारात्मक परिस्थितियों को दूर करने में मदद मिल सकती है जो आपको लगेगा कि शादी के शुरुआती दिनों में ऐसा नहीं होगा। किन्तु जैसे-जैसे आपके वैवाहिक जीवन आगे बढ़ेगा और समय बीतेगा, समस्या सामने आती जाएगी।

इस दोष का प्रभाव पूरी तरह से समाप्त नहीं होता है। हालांकि, इसको काफी हद तक कम किया जा सकता है वह भी कोई व्यक्ति धार्मिक रूप से एवं अनुभवी ज्योतिषियों के मार्गदर्शन में यह कार्य हो सकता है। इससे दोष के दुष्प्रभाव कम हो जाएंगे और वह अंत में कमजोर हो जाएंगे। साथ ही वह वैवाहिक जीवन को हानिकारक रूप से प्रभावित नहीं करेंगे और अगर किसी को उपायों के विषय में ज्ञान है तो इससे आसानी से निपटा जा सकता है।

भकूट दोष के प्रभाव को कम करें : जब दोनों जन्म कुंडली में चंद्र राशि का स्वामी समान हो तो दोष का प्रभाव कम हो जाता है। उदाहरण के लिए: यदि दोष का योग 12-2 है तो इसे मकर-कुंभ के संयोजन से कम किया जा सकता है। साथ ही यदि भकूट 6-8 हो तो मेष-वृश्चिक की जोड़ी के साथ इसे रद्द किया जा सकता है।
अनुभवी पुरोहितों के मार्गदर्शन में पूजा भी करवा सकते हैं। जिनके जीवन में यह दोष है उन्हें अपने विवाह में आने वाली समस्याओं से शांति से निपटना चाहिए और आवेग में निर्णय नहीं लेना चाहिए।

निष्कर्ष : भकूट दोष के प्रभाव का सामान्य नतीजा नहीं किया जा सकता है क्योंकि वह अलग-अलग कुंडली के लिए अलग-अलग होते हैं, और यह उनकी जन्म कुंडली में किसी अन्य ग्रह की स्थिति पर भी निर्भर करता है। जब यह दोष उनकी कुंडली में नाड़ी दोष, गण दोष आदि के साथ मिल जाता है तो और अधिक समस्या होने की संभावना होती है। भकूट दोष के कारण व्यक्ति को तुरंत समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है क्योंकि यह दोष धीरे-धीरे वैवाहिक बंधन को प्रभावित करता है और अंत में अधिक हानि हानि पहुंचाता है।

भकूट दोष से निजात पाने के उपाय हैं और इस लिए अधिकांश मामलों में चिंता नहीं करनी चाहिए है। दम्पति को किसी एक ज्योतिषी से सलाह लेनी चाहिए और पता होना चाहिए कि क्या यह स्थिति वास्तव में हानिकारक है या नहीं। इसके लिए पूजा, मंत्र और दान भी हैं जो इस दोष के प्रभाव को आसानी से कम कर सकते हैं, और दम्पति स्वस्थ और मजबूत वैवाहिक जीवन जी सकते हैं।

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

ज्योतिर्विद् वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *