वोट सत्यापन प्रणाली (वीवीपीएटी) – मतदाता देख सकते हैं कि जिसको ईवीएम में वोट दिया उसको गया या नहीं

वोट सत्यापन प्रणाली (वीवीपीएटी) की सार्थकता के लिए चुनाव शुरु होने से पहले निर्णय लेना समय की मांग
ईवीएम में जनता का विश्वास बढ़ाने, चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता सुनिश्चित करने, वीवीपीएटी पर्चियों का सौ प्रतिशत मिलान करने को रेखांकित करना जरुरी – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध भारतीय लोकतंत्र के सबसे बड़े महोत्सव महापर्व लोकसभा चुनाव 2024 को होने जा रहे प्रथम चरण का चुनाव 102 सीटों पर 19 अप्रैल 2024 को होने जा रहा है, परंतु कुछ राजनैतिक पार्टियों, समूहों व्यक्तियों का हमेशा ईवीएम वोटिंग मशीन पर संदेह सा बना रहता है। पिछले दिनों से हम सोशल मीडिया पर कुछ वकीलों द्वारा ईवीएम का बहिष्कार कर बैलेट पेपर से वोटिंग कराने का मुद्दा उठाकर समूहों में अपने विचार प्रचारित किए जा रहे थे। वही चुनाव आयोग भारत की हर गली चौराहे पर ईवीएम वोटिंग मशीन की सत्यता प्रमाणित कर रहा था। हमारे राइस सिटी गोंदिया में भी मैंने एक चौक पर विजिट किया और देखा था।इन सब बातों के बीच एक हमारे साथी वकील साहब ने वोट सत्यापन प्रणाली याने पर्चियां पूरी गिनती से संबंधित विषय में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी, जिस पर आज दिनांक 2 अप्रैल 2024 को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग, केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है, जो आज दिन भर मीडिया की हेडलाइंस बनी रही, क्योंकि वीवीपीएटी द्वारा हर मतदाता ने जिसको वोट दिया है उसको गया कि नहीं यह देख सकता है और सुनिश्चित कर सकता है कि जिसको उसने वोट दिया उसको ही गया है। परंतु इसकी सार्थकता के लिए चुनाव शुरू होने के पहले इस पर निर्णय लेना समय की मांग है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे ईवीएम में जनता का विश्वास बढ़ाने, चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता सुनिश्चित करने, वीवीपीएटी पर्चियों का हंड्रेड परसेंट मिलान करने को रेखांकित करना जरूरी है।

साथियों बात अगर हम वीवीपीएटी प्रणाली को परिभाषित करने की करें तो, वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) या वेरिफाइड पेपर रिकार्ड (वीपीआर) एक मतदाता मत प्रणाली का उपयोग करते हुए मतदाताओं को फीडबैक देने का एक तरीका है। एक वीवीएपीएटी मतदान मशीनों के लिए एक स्वतंत्र सत्यापन प्रणाली के रूप में लक्षित है, जिससे मतदाताओं को यह सत्यापित करने के लिए अनुमति दी जाती है कि उनका वोट सही ढंग से डाला गया, संभावित चुनाव धोखाधड़ी या खराबी का पता लगा सके और संग्रहीत इलेक्ट्रॉनिक परिणामों का ऑडिट करने के लिए साधन प्रदान कर सके। वीवीपीएटी और ईवीएम पर मतगणना के बीच विसंगति के मामले में, उस विशेष मतदान केंद्र की पर्चियों की फिर से गणना की जाती है। यदि विसंगति बनी रहती है, तो वीवीपैट पेपर पर्चियों द्वारा स्थापित गणना ईवीएम पर दर्ज मतों की गणना पर प्रबल होती है। वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल एक स्वतंत्र वोट वेरिफिकेशन सिस्टम है, जो वोटर्स को यह देखने की अनुमति देती है कि उसका वोट उसी उम्मीदवार को गया है या नहीं, जिसे उसने वोट दिया है।वीवीपैट के जरिये मशीन से कागज की पर्ची निकलती है, जिसे मतदाता देख सकता है और इस पर्ची को एक सीलबंद डिब्बे में रखा जाता है और विवाद की स्थिति में इसे खोला जा सकता है। वीवीपीएटी प्रणाली ईवीएम में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए भारत के चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण उपकरण है। भारत में चुनाव पेपर ट्रेल से कराए जाएंगे जिससे यह सुनिश्चित होगा कि ईवीएम को हैक या छेड़छाड़ नहीं किया जाएगा। इससे संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ या किसी अन्य अंतरराष्ट्रीय चुनाव के मामले में विनाशकारी प्रभावों से बचा जा सकता है। वीवीपीएटी प्रणाली बहुत सारा पैसा भी बचा सकती है जिसका उपयोग अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्यों जैसे लोगों को शिक्षित करने, विवादों के मामलों में अपना नाम साफ करने आदि के लिए किया जा सकता है। वीवीपीएटी एक पेपर ट्रेल होने के कारण विकलांग मतदाताओं के लिए लाभकारी भी सहायक और सटीक है।

साथियों बात अगर हम दिनांक 2 अप्रैल 2024 को माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस संबंध में याचिका पर जारी नोटिस और मुख्य विपक्षी पार्टी के बयान की करें तो याचिकाकर्ता ने चार राहतें मांगी हैं, (i) प्रतिवादी ईसीआई अनिवार्य रूप से सभी वीवीपैट पेपर पर्चियों की गिनती करके वीवीपैट के माध्यम से मतदाता द्वारा डाले गए रूप में दर्ज किए गए वोटों के साथ ईवीएम में गिनती को सत्यापित करता है; (ii) इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और वीवीपीएटी पर अगस्त 2023 के मैनुअल के दिशानिर्देश संख्या 14.7 (एच) को भारत के चुनाव आयोग द्वारा तैयार और जारी किया गया है, जहां तक यह वीवीपीएटी पर्चियों के केवल अनुक्रमिक सत्यापन की अनुमति देता है, जिसके परिणामस्वरूप अनुचित परिणाम मिलते हैं। सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती में देरी; (iii) यह कि ईसीआई मतदाता को वीवीपैट द्वारा उत्पन्न वीवीपैट पर्ची को मतपेटी में डालने की अनुमति देता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मतदाता का मत ‘रिकॉर्ड के अनुसार गिना गया’ है; और/या (iv) कि उत्तरदाताओं ने वीवीपैट मशीन के शीशे को पारदर्शी बना दिया है और प्रकाश की अवधि इतनी लंबी कर दी है कि मतदाता अपने वोट कट को रिकॉर्ड करने वाले कागज को देख सके और उसे ड्रॉप बॉक्स में डाल सके।

एक राजनीतिक पार्टी ने चुनावों में सभी वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों की गिनती की मांग करने वाली याचिका पर भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को सुप्रीम कोर्ट के नोटिस की सराहना करते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण पहला कदम है। एक्स पर एक पोस्ट में, नेता ने कहा कि वीवीपीएटी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। चुनाव आयोग ने इंडिया गठबंधन के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इंकार कर दिया है। नेता ने कहा कि हमारी मांग थी कि ईवीएम में जनता का विश्वास बढ़ाने और चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए वीवीपीएटी पर्चियों के 100 प्रतिशत मिलान किए जाएं। इस संबंध में यह नोटिस पहला और काफ़ी महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन इसकी सार्थकता के लिए, चुनाव शुरू होने से पहले ही मामले पर निर्णय लिया जाना चाहिए।

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की पीठ ने वकील और कार्यकर्ता द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। यह ईसीआई दिशा निर्देशों को चुनौती देता है जिसमें कहा गया है कि वीवीपैट सत्यापन क्रमिक रूप से किया जाना चाहिए, यानी एक के बाद एक, जिससे अनुचित देरी होती है। यह भी तर्क दिया गया कि यदि एक साथ सत्यापन किया गया और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में गिनती के लिए कई अधिकारियों को तैनात किया गया, तो पूरा वीवीपैट सत्यापन केवल पांच से छह घंटों में किया जा सकता है। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने तकरीबन 24 लाख वीवीपैट की खरीद पर करीब 5, हज़ार करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन वर्तमान में लगभग 20, हज़ार वीवीपैट पर्चियां ही सत्यापित हैं। इस मामले पर अगली सुनवाई 17 मई को हो सकती है। वर्तमान में, वीवीपीएटी पर्चियों के जरिये रैंडम तौर पर चुने गए केवल 5 ईवीएम के वेरिफिकेशन का नियम है।

साथियों बात अगर हम वीवीपीएटी प्रणाली को समझने और उसके महत्व की करें तो वीवीपीएटी का मतलब वोटर वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल है, जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का एक स्वतंत्र पेपर रिकॉर्ड है। वीवीपैट एक प्रिंटर पोर्ट के माध्यम से ईवीएम से जुड़ा होता है, जो ईवीएम द्वारा वोट की सही रिकॉर्डिंग को सत्यापित करने के लिए वोट डेटा और काउंटरों को एक पेपर स्लिप में रिकॉर्ड करता है।मतदाता मतपत्र डालने से पहले अपने वोट को सत्यापित कर सकते हैं जिससे चुनावी धोखाधड़ी और धांधली की संभावना को खत्म करने में मदद मिलती है। वीवीपीएटी भारत के चुनाव आयोग द्वारा चुनाव सुधार के क्षेत्र में पेश किए गए सबसे महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक है। वीवीपीटी दृष्टि बाधित मतदाताओं, अनपढ़ मतदाताओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए उपयोगी है जो पढ़ या लिख ​​​​नहीं सकते हैं ताकि यह जांच सकें कि उनके वोट ईवीएम पर सही ढंग से पड़े हैं और उन्हें बाद में इसके बारे में सवाल करने का कोई मौका नहीं मिलता है। प्रत्येक पंजीकृत मतदाता को ईवीएम को छूने की अनुमति नहीं है जब तक कि उस मतदाता के लिए मतपत्र न डाला गया हो।

वीवीपैट का महत्व : वीवीपैट मतदाता के लिए यह जांचने में सहायक है कि उसका वोट उसकी इच्छा के अनुरूप पड़ा है। वीवीपैट उन मतदाताओं के लिए एक बड़ी मदद हो सकती है जो शारीरिक रूप से अक्षम हैं और ईवीएम का उपयोग नहीं कर सकते हैं। मतदाता मतपत्र डालने से पहले अपने वोट को सत्यापित कर सकते हैं जिससे चुनावी धोखाधड़ी और धांधली की संभावना को खत्म करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, पेपर ट्रेल की यह प्रणाली किसी भी व्यक्ति के लिए चुनावी अधिनियम के तहत अपनी जिम्मेदारियों से बचना असंभव बना देती है वीवीपैट का उपयोग वहां किया जा सकता है जहां इसके वजन या अन्य मुद्दों के कारण ईवीएम का उपयोग नहीं किया जा सकता है जिसके उपयोग में कुछ कमियां हैं।

वीवीपैट के लाभ : यदि ईवीएम हैक हो गई है तो सिस्टम को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि केवल हैकिंग के मामले में ही पेपर ट्रेल हो। वीवीपैट से सभी को फायदा होगा क्योंकि हर किसी को अपना वोट जानने का अधिकार है। इसके अलावा, इससे चुनावी धोखाधड़ी और धांधली की संभावना को कम करने में मदद मिलेगी। इससे मतदान के समय मतदाताओं पर तनाव भी कम होगा, जिन्हें चुनावी धोखाधड़ी और धांधली को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है वीवीपीएटी प्रणाली मतदाताओं को यह विश्वास दिलाती है कि हर वोट गिना जाता है और यह ईवीएम वोटों के साथ छेड़छाड़ की किसी भी संभावना को समाप्त कर देता है। वीवीपीएटी मतदान प्रणाली की पारदर्शिता के साथ-साथ सटीकता भी सुनिश्चित करता है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि वोट सत्यापन प्रणाली (वीवीपीएटी) – मतदाता देख सकते हैं कि जिसको ईवीएम में वोट दिया उसको गया या नहीं। वोट सत्यापन प्रणाली (वीवीपीएटी) की सार्थकता के लिए चुनाव शुरु होने से पहले निर्णय लेना समय की मांग। ईवीएम में जनता का विश्वास बढ़ाने, चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता सुनिश्चित करने वीवीपीएटी पर्चियों का सौ प्रतिशत मिलान करने को रेखांकित करना जरुरी है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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