विश्वभारती पट्टिका विवाद: राज्यपाल ने हस्तक्षेप करते हुए दिया सुधार करने का आदेश

कोलकाता/शांतिनिकेतन। शांतिनिकेतन स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय में यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन) ‘विश्व धरोहर स्थल’ का उल्लेख करने वाली पट्टिकाओं पर गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का नाम अंकित न किए जाने को लेकर पश्चिम बंगाल में पैदा हुए विवाद के बीच ऐसा बताया जा रहा है कि राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है और कुलपति से स्पष्टीकरण मांगा है।

तृणमूल कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता, विश्वविद्यालय प्राधिकारियों द्वारा पूर्व में लगाई गई पट्टिकाओं के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए शुक्रवार को पूर्वाह्न 11 बजे से केंद्रीय विश्वविद्यालय के पास एकत्र हुए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विश्वभारती विश्वविद्यालय में यूनेस्को ‘विश्व धरोहर स्थल’ का उल्लेख करने वाली पट्टिकाओं पर गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का नाम अंकित न किए जाने पर बृहस्पतिवार को प्राधिकारियों की आलोचना की थी और इसके विरोध में प्रदर्शन किए जाने की घोषणा की थी।

राजभवन के सूत्रों ने बताया कि टैगोर का नाम हटाए जाने को लेकर राज्यपाल द्वारा स्पष्टीकरण मांगे जाने के बाद कुलपति प्रोफेसर विद्युत चक्रवर्ती ने स्पष्ट किया कि पट्टिका पर उकेरे जाने वाले पाठ को भारत सरकार के पुरातत्व विभाग के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। ऐसा माना जा रहा है कि बोस ने कहा कि ‘‘गुरुदेव टैगोर बंगाल, भारत और समग्र मानवता की महानता के प्रतीक हैं’’ और नई पट्टिकाओं में उन्हें सम्मान दिया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने बृहस्पतिवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘‘केवल गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के कारण ही शांतिनिकेतन को यूनेस्को दर्जा मिला है और आपने पट्टिकाओं से उनका ही नाम हटा दिया। हम दुर्गा पूजा के कारण चुप थे। यदि आप पट्टिकाएं नहीं हटाते हैं और नोबेल पुरस्कार विजेता के नाम वाली नयी पट्टिकाएं कल सुबह 10 बजे तक नहीं लगाते हैं तो हमारे लोग प्रदर्शन शुरू करेंगे।’’

विश्वविद्यालय के प्राधिकारियों द्वारा संगमरमर की पट्टिकाएं लगाए जाने के बाद एक बड़ा विवाद शुरू हो गया था। केंद्रीय विश्वविद्यालय के विशाल परिसर में विभिन्न स्थानों पर स्थापित पट्टिकाओं पर विश्वविद्यालय के पदेन कुलाधिपति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कुलपति विद्युत चक्रवर्ती के नाम का जिक्र है, लेकिन गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का उल्लेख नहीं है, जिन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।

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