सामयिक परिवेश छत्तीसगढ़ अध्याय पटल पर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विराट कवि सम्मेलन

जुगेश चंद्र दास, छत्तीसगढ़ । अत्यंत हर्ष एवं उल्लास के साथ नारी सशक्तिकरण, युद्ध विभीषिका एवं होली विषय पर भव्य कवि सम्मेलन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। इन विषयों में सभी प्रतिभागियों ने अपनी अपनी मनमोहक प्रस्तुति को मधुर कंठ स्वर देकर सभी को मंत्रमुग्ध किया। काव्य गोष्ठी का यह आयोजन अविस्मरणीय रहेगा। होली आई नहीं लेकिन साहित्याकाश में होली का रंग छा गया। आज की शाम होली के नाम हो गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ममता मेहरोत्रा प्रधान संपादक सह राष्ट्रीय अध्यक्ष का आशीर्वाद मिला। सभा अध्यक्ष श्याम कुँवर भारती संपादक सामयिक पत्रिका का अति महत्वपूर्ण उद्बोधन एवं दुर्गा स्तुति “रेशमा की डोरिया मंगा न पिया पलना” मधुर गीत ने सब को मुग्ध किया।

कुंवर भारती ने सामयिक परिवेश के उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए आगामी साहित्यिक क्रिया कलाप का व्योरा देते हुए बताया कि गजल का साझा संकलन में जो अपनी रचना देना चाहें दो दिनों के अंदर पटल के माध्यम से भेज दें, गजल गायन का तीन मिनट का व्हीडियो भी भेज सकते हैं जिसे नकद पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। जुलाई 2022 में राष्ट्रीय कार्यक्रम में सम्मिलित होने का प्रस्ताव रखते हुए 16 मार्च के वार्षिक कार्यक्रम की रुपरेखा भी प्रस्तुत किये। उन्होने बताया कि समसामयिक परि सामाजिक, स्वास्थ्य, शिक्षा के साथ साथ साहित्यकारों को श्रेष्ठ मंच उपलब्ध कराने रचनाकारों की कृतियों का निःशुल्क प्रकाशन पर भी कार्य कर रही है। छत्तीसगढ़ एवं तमिलनाडु अध्याय की मुक्त कंठ प्रशंसा भी किये। सरोज साव कमल, राज्य प्रभारी एवं उनकी टीम के लगन परिश्रम का फल है कि छत्तीसगढ़ अध्याय दिन दूना रात चौगुना विकास कर रहा है।

आज के इस काव्य गोष्ठी के विशिष्ट अतिथि सरला विजय सिंह सरल, अंजनी कुमार सुधाकर, डॉ. सत्येंद्र शर्मा की गरिमामयी उपस्थिति एवं मनोहारी काव्य पाठ और उद्बोधन से सभा काव्यमय हो उठा। कार्यक्रम का प्रारंभ सरोज साव कमल के उत्कृष्ट संचालन से प्रारंभ हुआ। भारतीय परंपरा के अनुसार सर्वप्रथम माँ वीणापाणि का पूजन एवं प्रार्थना- मंजुला श्रीवास्तव व्याख्याता कोरबा के मधुर कंठ से- दे दे मेरे अधरों को ज्ञान स्वर… ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। दिलीप टिकरिहा छत्तीसगढ़िया के- अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार… गीत ने छत्तीसगढ़ माता के संतानों को गर्वित किया। डॉ. अर्चना श्रेया बेंगलुरु के स्वागत गीत- स्वागतम् शुभ आगमनम्….. मधुर कंठ स्वर से कविगण मंत्रमुग्ध हुए।

सरोज साव कमल एवं कमलेश प्रसाद शर्मा बाबू के रोचक, मनमोहक, काव्यमय संचालन ने सभा को उल्लासमय एवं स्फूर्त रखा। काव्य पाठ करते हुए सभी कवियों ने नारी सशक्तिकरण एवं होली पर रसमय काव्य पाठ किया। कौशल्या खुराना व्याख्याता कोरबा – जय हो नारी जय हो तोर, घर बना दे सरग मोर…. अंजनी कुमार- नारी तुम श्रद्धा की देवी…. मंजुला श्रीवास्तव – मैं नारी हूंँ अस्तित्व है मेरा भी, बस उसी को तलाशती हूंँ… वहीं कृष्णा पटेल की प्रस्तुति- मैं झांसी की रानी बन चली… नारी सशक्तिकरण पर आप सभी मनमोहक भावपूर्ण प्रस्तुति दी। सरोज साव कमल की प्रदीप छंद- महिमा नारी जानकर करें नमन हाथ जोड़ के… सभी का दिल छू लिया।

उधर दिलीप टिकरिहा छत्तीसगढ़िया ने माहौल को फागुनी रंग से भर दिया- फागुन के रंग गुलाल संगी रे… मधुर गीत से सब झूम उठे। नवेद रजा दुर्गवि भी होली पर गजल सुना कर सब को उत्साह से भर दिया। कुशल संचालक कमलेश प्रसाद शर्मा बाबू – चारो कोती देख ले निक लगे आज, गली गली नाचत हे ऋतुराज… तो लता शर्मा जी कि अंदाज ए निराला – काश उस से मुलाकात हो जाए… जुगेश चंद्र दास की नायिका से मिलने की चाह – आओ न, मल दे गुलाल गालों में, होली के बहाने…. ने काव्य मंच को होली के साथ ही प्रेमरस से सराबोर कर दिया।डॉक्टर सत्येंद्र शर्मा की प्रस्तुति – बंशी बजती, राधा सुध बुध खो दी….तो अरुणा साहू का विधाता छंद- बिहारी खेलते होली…..अति मनमोहक था। बुजुर्ग कवि राजेंद्र जैन- मिलन को होली में गीत चाहिए…और दिलीप पटेल का- जिंदगी एक रेल हो गई…का नया अंदाज सराहनीय था।

कवियों के मनमोहक प्रस्तुति सभा को अंत तक मंत्रमुग्ध करने में सफल रहा। अंत में अंजनी कुमार सुधाकर का विशिष्ट अतिथि की आसंदी से धन्यवाद संबोधन एवं लता शर्मा ने विशेष आभार व्यक्त किया। राज्य प्रभारी सरोज साव ने सामयिक परिवेश के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विस्तार को बताते हुए आज सात राज्यों के साहित्यकारों के सफल आभासी साहित्य सम्मेलन पर प्रसन्नता व्यक्त किया। कवि सम्मेलन लगभग चार घंटे तक निरंतर चलता रहा।

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