पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री, वाराणसी । भगवान शिव के प्रिय प्रदोष हर माह दोनों पक्षों की त्रियोदशी को रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की त्रियोदशी तिथि 15 मार्च, मंगलवार को पड़ रही है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की त्रियोदशी तिथि 15 मार्च, मंगलवार को पड़ रही है। मंगलवार होने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा। सप्ताह में जिस दिन भी प्रदोष व्रत होता है, उसी दिन के नाम से प्रदोष व्रत को जाना जाता है। मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है।

धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के साथ हनुमान जी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। कहते हैं कि संतान प्राप्ति के लिए भौम प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा -अर्चना करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

इस दिन भगवान शिव के साथ हनुमान जी की भी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भौम प्रदोष व्रत के दिन रुद्रावतार हनुमान जी का भगवान शंकर के साथ पूजन करना विशेष फलदायी होगा। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि भौम प्रदोष व्रत के दिन हनुमान जी का पूजन करने से मंगल ग्रह संबंधी दोषों से मुक्ति मिलती है। हनुमान जी के कुछ ऐसे मंत्रों के बारे में जिन्हें भौम प्रदोष व्रत के दिन जपने से संकट दूर होते हैं और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

भौम प्रदोष व्रत के मंत्र :
1- हनुमान जी का बीज मंत्र :
-ॐ ऐं भ्रीम हनुमते, श्री राम दूताय नमः।
मान्यता है कि हनुमान जी के बीज मंत्र का मंगलवार या भौमप्रदोष के दिन जाप करने से हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सारे संकट दूर करते हैं।

2- हनुमान अष्टदशाक्षर मंत्र :
-नमो भगवते आन्जनेयाये महाबलाये स्वाहा।
हनुमान जी के अठारह अक्षरों वाला सिद्ध मंत्र बड़ा फलदायी है। कहते हैं कि आज के दिन इसका जाप करने से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

3- ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति का मंत्र :
मनोजवं मारुतुल्यवेगं जितेंद्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।।
हनुमान जी को बल, बुद्धि का दाता कहा जाता है। खासतौर से विद्यार्थियों को उनके इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।

4- बल और पराक्रम प्राप्ति का मंत्र :
अतुलित बलधामं, हेमशैलाभदेहमं। दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुण निधानं, वानराणामधीशम्। रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातम् नमामि।।

5- रोग और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का मंत्र :
-ओम नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसहांरणाय,
सर्वरोगाय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
रोग, बाधा और शत्रुओं का नाश करने के लिए हनुमान जी के इस मंत्र का जाप करें।

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

जोतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
9993874848

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