विद्युत चक्रवर्ती ने लिखा ममता को पत्र, विश्व भारती के रास्ते को सौंपने की मांग, यूनेस्को को बनाया आधार

कोलकाता। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय और शांतिनिकेतन को हाल ही में यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है। इस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुशी जाहिर की थी। सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने भी इसे लेकर इलाके में जश्न की रैली भी निकली थी। अब इसी को विश्व भारती के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती ने हथियार बनाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय के रास्ते को वापस विश्वविद्यालय को सौंपने की मांग की है। यहां विश्व विद्यालय के उपासना गृह से कालीसैर जंक्शन तक सड़क वापस  करने को कहा।

शांतिनिकेतन को हाल ही में यूनेस्को द्वारा ‘विश्व विरासत स्थल’ के रूप में मान्यता दी गई है। कुलपति विद्युत चक्रवर्ती ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर इस उपाधि को बरकरार रखने का कारण बताते हुए सड़क को राज्य के पथ निर्माण की अधीनस्थता से वापस विश्वविद्यालय को सौंपने की मांग की है।

2017 में, विश्व भारती के तत्कालीन कार्यवाहक कुलपति स्वपन दत्ता ने राज्य सरकार को आवेदन कर शांतिनिकेतन से श्रीनिकेतन को विश्व भारती से जोड़ने वाली लगभग तीन किलोमीटर लंबी सड़क की देखरेख सौंपी। अमर्त्य सेन, क्षितिमोहन सेन, नंदलाल बोस, गौरी भंज, शांतिदेब घोष आदि के आवास इसी सड़क पर हैं। बाद में, कुछ आश्रमों ने शिकायत की कि उन्हें बिजली कटौती, सड़क बंद होने से लेकर सभी प्रकार के मालवाहक वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध के दौरान कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।’

इतना ही नहीं, आश्रमों ने यह भी आरोप लगाया कि साप्ताहिक मंदिर या विशेष पूजा के दिनों में भी शिक्षाभवन चौराहे से सभी प्रकार के यातायात को अवरुद्ध कर दिया जाता था। साथ ही उन इलाकों में मीडिया के प्रवेश या तस्वीरें लेने पर भी रोक है। आश्रमों की ओर से मुख्यमंत्री को पत्र दिया गया। इसके बाद ममता ने 2020 में सड़क वापस लेने का ऐलान किया।

निर्माण विभाग (सड़क) द्वारा सड़कों के किनारे स्थायी होर्डिंग्स लगाकर स्पष्ट कर दिया गया कि लोक निर्माण विभाग अब सड़क रखरखाव का प्रभारी है। विश्व भारती अब यूनेस्को की मान्यता का उपयोग करके उस सड़क को वापस पाने की कोशिश कर रही है।

मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में कुलपति ने लिखा, ”17 सितंबर को यूनेस्को ने शांतिनिकेतन को विश्व धरोहर का खिताब दिया। हम सभी को यह उपाधि बरकरार रखनी है। इस सड़क के दोनों ओर कई पारंपरिक इमारतें, वास्तुकला, मूर्तियां हैं। भारी यातायात के कंपन से वे क्षतिग्रस्त हो जाएंगे। इस सड़क को इसके रखरखाव के लिए विश्व भारती को वापस कर दिया जाए।”

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