।।बोलो श्याम।।
ऊषा जैन उर्वशी
झाँक धरा पे ओ कृष्ण कन्हाई
कैसी स्वार्थ की आँधी छाई।
रोटी सेक धर्म की आँच पर
वोटो से झोली खूब भराई।
श्याम भला कैसी दुनिया बनाई ,
दुश्मन लगता भाई को भाई।
जन्म से पहले अपनी सुता को,
कोख में मारे उसी की माई।
बटी वस्तुएँ घर की जब सारी
माँत-पिता की बारी भी आई
हो गया खून सफेद बेटों का
शर्म लाज सभी बेच के खाई।
सारी ही दुनिया लगे पराई,
सहा न जाए अब और कन्हाई।
खुद पर रहा ना अब तो भरोसा,
“उर्वशी” को न ये दुनिया भाई।
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