नई दिल्ली । युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए विदेश मंत्रालय में स्थापित नियंत्रण कक्ष को 16 फरवरी से अब तक 13,000 से अधिक कॉल और 9,000 से अधिक ई-मेल प्राप्त हुए हैं। मंत्रालय ने यह जानकारी दी। सरकार द्वारा युद्ध प्रभावित यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को वापस लाने के मिशन ‘ऑपरेशन गंगा’ की शुरूआत के बाद से अब तक 20,000 से अधिक भारतीयों, ज्यादातर छात्रों को निकाला जा चुका है। जनवरी के अंत से रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे तनाव के बीच पूर्वी यूरोपीय देश में फंसे भारतीय नागरिकों को सूचना और सहायता प्रदान करने के लिए नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई थी।

इसके अलावा, यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने वहां फंसे भारतीय नागरिकों की सहायता के लिए 24 घंटे की हेल्पलाइन भी स्थापित की है। रूस द्वारा 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई शुरू करने के दो दिन बाद भारतीय नागरिकों की निकासी शुरू हुई। वाणिज्यिक विमानों के अलावा, सरकार ने निकासी प्रक्रिया को तेज करने के लिए भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान सी-17 ग्लोब मास्टर को भी सेवा में लगाया है।

शुक्रवार को, यूक्रेन के सूमी में फंसे 600 से अधिक भारतीय छात्रों को तीन उड़ानों से भारत वापस लाया गया, जिसमें एक आईएएफ सी-17 ग्लोब मास्टर भी शामिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 7 मार्च को यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात करने के बाद रूस और यूक्रेन की सरकारों ने 8 मार्च को एक मानवीय गलियारा प्रदान किया, उनसे युद्ध में फंसे शेष भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए सुरक्षित मार्ग प्रदान करने का अनुरोध किया।

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