नयी दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव (President Election) में शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा करने के बाद विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे ने दबाव में आकर द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे को मजबूर किया गया है कि वो द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करें। ये बात उन्होंने गुवाहाटी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही। उन्होंने कहा कि इस देश में चारों तरफ असाधरण सी स्थिति बन रही है। साल 2018 आते पार्टी छोड़ने पर विवश होना पड़ा। नागरिकता का कानून मुद्दा बना है, जो आप पर थोप दिया गया है।
इन लोगों की मंशा थी कि पूरे देश में देश में सीएए और एनआरसी लागू करेंगे और लागू इसलिए नहीं कर पा रहे क्योंकि वो बेवकूफी में बना कानून है। नियम नहीं बना। राष्ट्रपति बना तो कानून को मंजूर नहीं होने दूंगा। चुनाव लड़ने के लिए मैं इसलिए तैयार हो गया क्योंकि एक यह संघर्ष की कड़ी है। व्यक्तिगत तौर मैं उनका (द्रौपदी मुर्मू) सम्मान करता हूं लेकिन वो किस विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती। क्या हमें साइलेंट राष्ट्रपति चाहिए। मेरे राष्ट्रपति चुने जाने के बाद एजेंसी का गलत इस्तेमाल राजनेताओं के खिलाफ रूक जाएगा।
इनका इस्तेमाल कर सरकार गिराई जा रही है। महाराष्ट्र की सरकार गिरा दी। शिवसेना के विधायकों को जमा कर यहां लाया गया। क्यों ऐसे किसी राज्य में नहीं ले जाया गया, जहां बीजेपी की सरकार नहीं थी, क्योंकि उनको यहां से मदद मिली। बता दें कि कुछ दिन पहले ही उद्धव ठाकरे ने ऐलान किया था कि राष्ट्रपति के लिए चुनाव में उनके नेतृत्व वाली शिवसेना, बीजेपी नीत एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करेगी। शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट और बीजेपी के हाथों सत्ता गंवा चुके उद्धव ठाकरे ने कहा था उनकी छोटी सोच नहीं है और शिवसेना द्वारा एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन इसका संकेत देता है। राष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग 18 जुलाई को होनी है।