- जलवायु परिवर्तन पर देश के लोगों को जागरूक करने के लिए पूरे 11 वर्षों (2020 से 2030) की अवधि के दौरान सोलर बस में ही रहूंगा : प्रो. चेतन सिंह सोलंकी
कोलकाता । प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी जो कि आईआईटी बॉम्बे में प्रोफेसर है तथा एनर्जी स्वराज फाउंडेशन के संस्थापक भी हैं और मध्यप्रदेश शासन में सौर ऊर्जा के ब्रांड एंबेसडर भी हैं। विगत दो वर्षों से एनर्जी स्वराज यात्रा पर निकले हुए हैं। इस यात्रा द्वारा वे स्थानीय लोगों द्वारा और स्थानीय लोगों के लिए ऊर्जा को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मैं अपने ग्रह पृथ्वी को बचाने के लिए एनर्जी स्वराज यात्रा पर निकला हूं। इसे बचाना ही होगा अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए, कारण हमारे पास रहने योग्य दूसरा ग्रह नहीं है।
इस यात्रा के दौरान कोलकाता पहुंचे प्रो. सोलंकी ने गुरुवार शाम को कोलकाता प्रेस क्लब में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि “खुद को खोजने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप खुद को दूसरे की सेवा में खो दें।” आज दुनिया महामारी से जूझ रही है और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आत्मनिर्भर और #भोकल फॉर लोकल पर जोर दिया है। एनर्जी स्वराज, ऊर्जा आपूर्ति, देश के लिए ऊर्जा सुरक्षा, आजीविका निर्माण और जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए एक सरल लेकिन शक्तिशाली अवधारणा है।
प्रोफेसर सोलंकी ने बताया कि देश के हर क्षेत्र में जाकर लोगों से बात करना, लोगों को सौर में प्रशिक्षित करना, सौर व्यवहारिकता का प्रदर्शन करना, लाखों लोगों तक पहुंचना, इस यात्रा में यह सभी कुछ शामिल है। एनर्जी स्वराज यात्रा प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी और ऊर्जा स्वराज फाउंडेशन की टीम द्वारा समाज में एक दार्शनिक समझ और व्यवहारिक स्वीकृति लाने के लिए बड़े पैमाने पर 11 साल की प्रतिबद्धता है। इन पूरे 11 वर्षों (2020 से 2030) की अवधि के दौरान प्रोफेसर सोलंकी अपने सोलर बस में ही रहेंगे। बस में ही उनका रहना, खाना, सोना, पढ़ना और दैनिक दिनचर्या सब कुछ चल रहा है।
यात्रा जैसा की अपेक्षित है जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए पर्याप्त बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा समाधानो को अपनाने के लिए एक सार्वजनिक आंदोलन बनाने के लिए बीज होगा। यात्रा भारत के 28 राज्यों में लगभग दो लाख किलोमीटर, 5 हजार से अधिक लोगों से बातचीत, 1 हजार से अधिक प्रदर्शनीयों 1लाख लोगों के बुनियादी प्रशिक्षण और एक लाख पौधे रोपने की उम्मीद है। इन 11 वर्षों के दौरान यह यात्रा लगभग 8 से 10 बार पूरे देश में घूमेगी।