बंगाल में मिड-डे मील योजना की फंडिंग पर भी मंडरा रहा खतरा, सेंट्रल टीम ने अपनी रिपोर्ट में किया भ्रष्टाचार का दावा

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में 100 दिनों की रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के बाद अब स्कूलों में बच्चों के मिड डे मील पर भी फंडिंग रोके जाने का खतरा मंडराने लगा है। इसकी वजह है कि बंगाल में मिड डे मील योजना के मद में आवंटित हुई धनराशि के दुरुपयोग के आरोपों के बीच जांच करने पहुंची केंद्रीय टीम ने अपनी रिपोर्ट में भ्रष्टाचार का दावा किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय सूत्रों ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया है कि बंगाल पहुंची केंद्रीय टीम ने एक सप्ताह तक विभिन्न स्कूलों का दौरा कर जायजा लेने के बाद गत मंगलवार को अपनी जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि राज्य में मिड डे मील योजना के मद में आवंटित धनराशि का दुरुपयोग बढ़-चढ़कर हुआ है।

इस वजह से अब कैग को एक रिपोर्ट भेजी गई है जिसे पश्चिम बंगाल में मिड डे मील योजना के लिए आवंटित धनराशि के ऑडिट के लिए कहा गया है। अब सूत्रों ने बताया है कि जल्द ही सीएजी राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगने वाली है। खास बात यह है कि हाल ही में वरिष्ठ भाजपा विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने एक तस्वीर सोशल मीडिया पर डाली थी जिसमें देखा जा सकता था कि बीरभूम नरसंहार के पीड़ितों को राज्य सरकार की ओर से जो मुआवजा राशि दी गई थी वह मिड डे मील योजना के फंड से भुगतान की गई थी।

इसके अलावा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विभिन्न प्रशासनिक बैठकों का खर्च भी मिड डे मील योजना से भुगतान के आरोप लगते रहे हैं। इसलिए राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अगर इस योजना में भ्रष्टाचार उजागर होता है तो संबंधित जिलाधिकारी, बीडीओ और अन्य अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक धाराओं के तहत कार्रवाई भी शुरू हो सकती है। दूसरी ओर राज्य सरकार से केंद्र इस संबंध में जवाब तलब कर सकता है। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में आवास योजना, ग्राम सड़क योजना सहित अन्य केंद्रीय योजनाओं के फंड के दुरुपयोग और नाम बदलने के आरोप ममता बनर्जी की सरकार पर लगातार लगते रहे हैं।

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