“हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए बड़े आंदोलन की जरूरत है”

कोलकाता। कलकत्ता विश्वविद्यालय हिंदी विभाग द्वारा 14 सितंबर 2022 को हिंदी दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया। समरोह में उपस्थित सभी शिक्षकों ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। स्वागत गीत का गायन कर कार्यक्रम को गति प्रदान की गई। कार्यक्रम में विभाग के शोधार्थी और विद्यार्थी सभी उपस्थित थे। विभागीय शिक्षक प्रो. विजय साव ने अपने स्वागत वक्तव्य में विवेकानंद, महात्मा गांधी, रवीन्द्रनाथ और तमाम उन महानुभाव का जिक्र किया, जिन्होंने अपने समय में हिंदी के प्रचार और विस्तार के लिए अनेक कार्य किए।

अतिथि वक्ता के रूप में पधारे प्रो. सत्य प्रकाश तिवारी ने हिंदी भाषा का विदेशों में कितना महत्व है उसका जिक्र किया। विभाग के शिक्षक डॉ. रामप्रवेश रजक ने अपने वक्तव्य में कहा हिंदी अभी राष्ट्रभाषा बनी नहीं है अभी भी हिंदी का संघर्ष बाकी है। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए एक बहुत बड़े आंदोलन और बड़े महानायक की आवश्यकता है। आगे उन्होंने कहा हिंदी को कविता, कहानी के अलावा तकनीक और विज्ञान से भी जोड़ना होगा तभी इसका विकास संभव है।

कार्यक्रम में स्नातक द्वितीय वर्ष की छात्राओं ने गणेश वंदना संगीत पर सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुत किया साथ ही भरतनाट्यम नृत्य की प्रस्तुति की। विभाग के अन्य छात्राओं ने काव्य आवृत्ति भी की जिससे कबीर, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, दिनकर, सोहनलाल द्विवेदी, धूमिल तथा अन्य आधुनिक कवि को सभी ने सुना और भाव विभोर हुए । कुछ छात्राओं ने सामूहिक रूप से विद्यापति के ‘सुनू सुनू रसिया’ लोकगीत की प्रस्तुति की जो सभी श्रोताओं को आंनदित किया।

विभाग के कुछ छात्राओं ने राजेश सिंह द्वारा रचित नाटक ‘हिंदी बोल रही है’ का मंचन किया । सभी पात्र और संवाद योजना इतनी सुंदर और स्पष्ट थी कि तालियों से सभागार गूंज उठी। विभाग के शोधार्थी अमित कौर और प्रीतम रजक ने मंच संचालन का कार्यभार संभाला और हिंदी कैसे जन-जन तक पहुंचे इस ओर भी सबका ध्यान करवाया। वहीं, धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉ. रामप्रवेश रजक ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि जैसे इस कार्यक्रम को सफल करने में सैकड़ों हाथ है उसी तरह से हिंदी के लिए भी आज सैकड़ों हाथ की आवश्यकता है।

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