दीपावली पर घरौंदा और रंगोली बनाने की रही है परंपरा

पटना। दीपावली के अवसर पर गणेश-लक्ष्मी की पूजा के साथ-साथ घरौंदा और रंगोली बनाकर उसकी पूजा करने की परंपरा रही है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम जब चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे तो उनके आने की खुशी में अयोध्यावासियों ने अपने-अपने घरों में दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था। लोगों ने यह माना कि अयोध्या नगरी उनके आगमन से एक बार फिर बस गई है। इसी परम्परा के कारण घरौंदा बनाकर उसे सजाने का प्रचलन बढ़ा।

कार्तिक माह का आरंभ होते ही लोग अपने अपने घरों में साफ सफाई का काम शुरू कर देते हैं। इस दौरान घरों में घरौंदा बनाने का निर्माण आरंभ हो जाता है। घरौंदा ‘घर’ शब्द से बना है। माह के आरंभ से ही सामान्य तौर पर दीपावली के आगमन पर अविवाहित लड़कियां घरौंदा का निर्माण करती है। अविवाहित लड़कियों द्वारा इसके निर्माण के पीछे मान्यता है कि इसके निर्माण से उनका घर भरा पूरा बना रहेगा। हालांकि कई जगहों पर घरौंदा बनाने का प्रचलन दीपावली के दिन होता है।

घरौंदा में सजाने के लिये कुल्हिया-चुकिया का प्रयोग किया जाता है और उसमें अविवाहित लड़कियां लाबा, फरही ..मिष्ठान भरती हैं। इसके पीछे मुख्य वजह रहती है कि भविष्य में जब वह शादी के बाद ससुराल जायें तो वहां भी भंडार अनाज से भरा रहे। कुल्हियां चुकिया में भरे अन्न का प्रयोग वह स्वयं नहीं करती बल्कि इसे अपने भाई को खिलाती हैं क्योंकि घर की रक्षा और उसका भार वहन करने का दायित्व पुरुष के कंधे पर रहता है।

Rangoli घरौंदा से खेलना लड़िकियों को काफी भाता है। इस कारण वह इसे इस तरह से सजाती हैं जैसे वह उनका अपना घर हो। घरौंदा की सजावट के लिए तरह-तरह के रंग-बिरंगे कागज, फूल, साथ ही वह इसके अगल बगल दीये का प्रयोग करती हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि इससे उसके घर में अंधेरा नहीं हो और सारा घर रोशनी कायम रहे। आधुनिक दौर में घरौंदा एक मंजिला से लेकर दो मंजिला तक बनाये जाने की परंपरा है।

दीपावली के दौरान ही घर में रंगोली बनाये जाने की भी परंपरा है। दीपावली के दिन घर की साज-सज्जा पर विशेष ध्यान दिया जाता है और रंगोली घर को चार चांद लगा देती है। घर चाहे कितना भी अधिक सुंदर हो यदि रंगोली घर के मुख्य द्वार पर नहीं सजायी गयी तो घर की सुंदरता अधूरी सी लगती है। सामान्य के तौर पर रंगोली का निर्माण चावल, गेंहू, मैदा, पेंट और अबीर से बनाया जाता है लेकिन सर्वश्रेष्ठ रंगोली फूलों से बनायी जाती है। इसके लिये गेंदा और गुलाब के साथ हरसिंगार के पूलों का इस्तेमाल किया जाता है जो देखने में सुंदर तो लगता ही है साथ ही सात्विकता को भी उजागर करता है

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