गुवाहाटी। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े एक संगठन ने असम के गुवाहाटी शहर में आयोजित कार्यक्रम में राज्य सरकार से जनजाति समुदायों से आने वाले उन लोगों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी से बाहर निकालने की मांग की है, जिन्होंने अपना धर्म परिवर्तित कर लिया है। जनजाति धर्म संस्कृति सुरक्षा मंच ने असम में जनजातीय समुदायों के लोगों के धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की है। इस कार्यक्रम में बोरो, कारबी, तीवा, दिमासा, राभा, मिज़िंग समेत तीस ज़िलों की जनजातियों ने हिस्सा लिया था।

इस संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष बिनुद कुमांग ने कहा, “असम के साथ-साथ भारत में जनजातीय समुदायों से जुड़े लोगों का विदेशी धर्मों को स्वीकार करना स्वदेशी आस्था और संस्कृति के लिए हमेशा से खतरा रहा है। धर्म परिवर्तन की दर बढ़ गयी है और अनुसूचित जाति के लोग सांप्रदायिक विदेशी धार्मिक समूहों का शिकार बनते हैं।

उन्होंने ये भी कहा कि धर्म परिवर्तन की इस दर को थामा जा सकता है, अगर दूसरे धर्मों में जाने वाले लोगों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी से बाहर कर दिया जाए। उन्होंने कहा, “धर्म परिवर्तन करने वाले लोग अपनी मूल जनजाति समुदायों की संस्कृति, रीति रिवाजों और परंपराओं को पूरी तरह छोड़ देते हैं।

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