स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मतदान प्रतिशत बढ़ना समय की मांग

मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग का डंडा चला-11 राज्यों के 50 लोकसभा व 7 नगरीय क्षेत्रों के बड़े अधिकारियों से बैठक हुई
मतदान प्रतिशत की कमी मतदाता के रवैए के साथ, प्रशासन की लापरवाही को भी जिम्मेदार बताकर, चुनाव आयोग के जड़ पकड़ने की कवायत सराहनीय है- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। भारतीय लोकसभा चुनाव 2024 में चुनाव आयोग द्वारा मतदान प्रतिशत को बढ़ाकर ऊंचाइयों के स्तर पर ले जाने के लिए कमर कस ली है, जिसका पता इसी बात से चलता है कि शुक्रवार दिनांक 5 अप्रैल 2024 को चुनाव आयोग ने 2019 लोकसभा चुनाव में 50 लोकसभा क्षेत्र और 17 नगरी क्षेत्र यानें शहरों को चिन्हित कर वहां के जिला निर्वाचन अधिकारियों यानें जिलाधिकारी व उच्च स्तर अधिकारियों को तलब कर एक मीटिंग ली गई। जिसमें उन राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी बैठक में वर्चुअल शामिल हुए जिसमें मतदान के बहुत कम प्रतिशत होने पर चर्चा की गई और उसके कारणों पर विस्तृत चर्चा की गई और मतदान प्रतिशत लक्षित बढ़ाने पर जोर दिया गया। उल्लेखनीय है कि 2019 में राष्ट्रीय औसत 67.40 प्रतिशत से भी बहुत कम मतदान उन 11 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में हुआ था जिसमें 17 प्रमुख बड़े शहर भी शामिल थे चुनाव आयोग का मत था कि मतदान प्रतिशत की कमी मतदाता के रवैए के साथ-साथ प्रशासन की लापरवाही को भी जिम्मेदार बताया गया।

चुनाव आयोग की इस बैठक का रिएक्शन पूरे देश में आग की तरह फैला और इसका नतीजा यह हुआ कि मेरी ऑफिस में गोंदिया नगर परिषद के दो साहब आए, मेरे हाथ में एक सूचना फॉर्म दूसरा सिगनेचर फार्म दिए मेरे पूछने पर बताया कि कलेक्टर ऑफिस से आदेश आया है कि जनजागरण मुहिम चलाने के लिए कहा गया है। इस फॉर्म में मतदान जरूर करने की अपील/सुझाव/निवेदन था पढ़कर मैं और पारिवारिक सदस्यों ने उस फार्म पर हस्ताक्षर कर दिए। उधर रेडियो टीवी चैनलों पर चुनाव आयोग की बैठक संबंधी जानकारी दी जा रही थी, इससे मैंनें अंदाज लगा लिया के मुझसे हस्ताक्षर ले गए अर्थात यह जनजागरण पूरे देश में चल पड़ा होगा। मेरा मानना है कि यह बैठक जनजागरण व कम मतदान वाले राज्यो क्षेत्र के अधिकारियों को इसकी हिदायत देकर लापरवाही की ओर इशारा किया गया। यह चुनाव आयोग की मतदान प्रतिशत बढ़ाने की सबसे बड़ी कवायत है।

पिछले चुनाव में मीडिया में कुछ नेताओं के ऐसे सुझाव भी आए थे कि, हर राज्य ऐसा नियम विनियम बनाए कि मतदान नहीं करने वाले व्यक्तियों को शासकीय सुविधा या प्रमाण पत्र व दैनिक जीवन निभाने में लगने वाले सरकारी दस्तावेजों को न दिया जाए, यानि दूसरी भाषा में मतदान को अनिवार्य बना दिया जाना चाहिए। ऐसा संशोधन संविधान अनुच्छेद 19 सहित सभी कानूनी अड़चनों वाली धाराओं में संशोधन कर देना चाहिए, ताकि इस मुद्दे को लेकर कोई अदालत की दहलीज पर लेकर न जाए, यह मेरा केवल सुझाव मात्र है क्योंकि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मतदान प्रतिशत को तेजी से बढ़ाना आज समय की मांग है। चूंकि मतदान प्रतिशत बढ़ाने आज 5 अप्रैल 2024 को चुनाव आयोग ने 11 राज्यों के 50 लोकसभा क्षेत्र के जिलाधिकारी व बड़े अधिकारियों को तलब किया है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, मतदान प्रतिशत की कमी मतदाता के रवैया के साथ प्रशासन की लापरवाही को भी जिम्मेदार बताकर चुनाव आयोग के जड़ पकड़ने की कवायद सराहनीय है।

साथियों बात अगर कर हम भारतीय चुनाव आयोग द्वारा शुक्रवार दिनांक 5 अप्रैल 2024 को मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए ली गई बैठक की करें तो आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए नई दिल्ली के निर्वाचन सदन में एक बैठक आयोजित किया। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने देश भर के कई जिलों के नगर निगम आयुक्तों और जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) के साथ यह बैठक की। बैठक के दौरान शहरी और ग्रामीण संसदीय क्षेत्र में मतदाता सहभागिता और भागीदारी बढ़ाने की दिशा में एक योजना तैयार किया गया। गौरतलब है कि इस सम्मेलन की अध्यक्षता मुख्य चुनाव आयुक्त, दोनों चुनाव आयुक्त ने की।इस अवसर पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने मतदान केंद्रों पर सुविधा प्रदान करने की तीन-स्तरीय रणनीति पर जोर दिया, जैसे वोट देते समय कतार का प्रबंधन, भीड़भाड़ वाले इलाकों में आश्रय पार्किंग, संचार और लोगों को मतदान के लिए आने के लिए प्रोत्साहित करना और प्रभावशाली युवाओं के जरिये लोगो की भागीदारी सुनिश्चत करने की बात कही उन्होंने बूथ-वार कार्य योजना तैयार करने का भी निर्देश दिया।

सभी एमसी और डीईओ को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग रणनीति तैयार करने की योजना बनाने के लिए कहा और अधिकारियों से इस तरह से कार्य करने का भी आग्रह किया जिससे मतदाताओं में लोकतांत्रिक उत्सव में भाग लेने के लिए गर्व पैदा हो। इस अवसर पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने मतदाताओं की उदासीनता पर एक पुस्तिका का भी अनावरण किया। चुनाव आयोग के मुताबिक 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, जिसमें बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, तेलंगाना, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, जम्मू और कश्मीर और झारखंड में मतदान प्रतिशत राष्ट्रीय स्तर से कम रहा जबकि लोकसभा के 2019 के आम चुनावों में राष्ट्रीय औसत 67.40 प्रतिशत रहा था।2019 में राष्ट्रीय औसत से कम मतदान वाले 11 राज्यों के कुल 50 निर्वाचन क्षेत्रों में से 40 निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश (22 निर्वाचन क्षेत्र) और बिहार (18 निर्वाचन क्षेत्र) से हैं। उत्तर प्रदेश की फूलपुर निर्वाचन क्षेत्र में सबसे कम मतदान 48.7 प्रतिशत दर्ज किया गया था। जबकि बिहार में नालंदा संसदीय क्षेत्र में सबसे कम 48.79 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था।

निकायों में ये काम तत्काल करने होंगे –
आवश्यक चुनाव संदेशों से सुसज्जित सार्वजनिक परिवहन और स्वच्छता वाहन चलाना।
व्यापक प्रसार के लिए उपयोगिता बिलों में मतदाता जागरूकता संदेशों को शामिल करना।
रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) और मतदाता जागरूकता मंचों के साथ सहयोग करना।
पार्क, बाजार और मॉल जैसे लोकप्रिय सार्वजनिक स्थानों पर सूचनात्मक सत्रों का आयोजन।
मतदाताओं में रुचि जगाने के लिए मैराथन वॉकथॉन और साइक्लोथॉन जैसे आकर्षक कार्यक्रम आयोजित करना।
मतदाता शिक्षा सामग्री का प्रसार करने के लिए होर्डिंग्स, डिजिटल स्पेस, कियोस्क और कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) सहित विभिन्न प्लेटफार्मों का उपयोग करना।
व्यापक मतदाता पहुंच और जुड़ाव के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की शक्ति का लाभ उठाना।

साथियों बात अगर हम चुनाव आयोग द्वारा मतदान प्रतिशत बढ़ाने 2019 के चुनाव में कम मतदान वाले क्षेत्रों में मतदान बढ़ाने की कवायत की करें तो, इस संबंध में निर्वाचन आयोग के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट कर जानकारी दी गई है। यह कुछ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कम वोटिंग की समस्या के समाधान के लिए लक्षित और विशिष्ट कार्य योजनाएं तैयार हुईं। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे, ठाणे, नागपुर, पटना साहिब, लखनऊ और कानपुर के नगर आयुक्त और बिहार और उत्तर प्रदेश के चुनिंदा जिला चुनाव अधिकारी बैठक में भाग लिए। मुख्य चुनाव आयुक्त ने विभिन्न अवसरों पर कम भागीदारी के कारणों के रूप में शहरी उदासीनता और ग्रामीण क्षेत्रों से प्रवासन की चुनौती पर प्रकाश डाला है। विशिष्ट मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए रणनीति विकसित करने के लिए की गई है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मतदान प्रतिशत बढ़ना समय की मांग। मतदान प्रतिशत बढ़ाने चुनाव आयोग का डंडा चला- 11 राज्यों के 50 लोकसभा व 7 नगरीय क्षेत्रों के बड़े अधिकारियों से बैठक हुई। मतदान प्रतिशत की कमी मतदाता के रवैए के साथ, प्रशासन की लापरवाही को भी जिम्मेदार बताकर, चुनाव आयोग के जड़ पकड़ने की कवायद सराहनीय है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2 × 1 =