कामयाबी के पहले पायदान पर संदेशपरक फिल्म ‘वो तीन दिन’

काली दास पाण्डेय, मुंबई । राज आशू के निर्देशन में बनी हालिया रिलीज फिल्म ‘वो तीन दिन’ देश के कई शहरों में सिनेदर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करने की दिशा में अग्रसर है। छोटे बजट में बनी इस फिल्म की कहानी शुरु होती है उत्तर प्रदेश के एक गांव से, जहां बड़े दिल वाले रिक्शा चालक रामभरोसे अपनी आजीविका कमाने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। वह अपनी पत्नी और बेटी को एक अच्छा जीवन प्रदान करने का सपना देखता है।

रामभरोसे के कैरेक्टर के जरिए फिल्म तुलनात्मक रूप से दिखाती है कि कैसे शहरों में जीवन की तुलना में ग्रामीण जीवन कहीं अधिक कठिन है। रामभरोसे और उनके परिवार के गांव में जिंदा रहने के संघर्ष को दिल को गहराई से चित्रित किया गया है, जो आपके दिल को छू लेगा। रामभरोसे का जीवन पूरी तरह तब बदल जाता है जब वह एक यात्री से मिलता है जो ‘तीन दिनों’ के लिए उससे रिक्शा किराए पर लेता है। अजनबी के इरादों से अनजान, रामभरोसे उसे अपने रिक्शे पर जहां भी जाना होता है ले जाता है।

यह फिल्म न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि देश के ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में कठोर जीवन व्यतीत करने वाले कैरेक्टर से भी परिचय कराती है। संजय मिश्रा, राजेश शर्मा, चंदन रॉय सान्याल, पायल मुखर्जी, पूर्व पराग और अमजद कुरैशी के अभिनय से सजी इस फिल्म के दृश्यों का संयोजन बॉलीवुड के चर्चित फिल्म एडिटर अमित आनंद ने किया है।

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