देश की बेटियां आगे बढ़ना चाहती है वह पढ़ना चाहती है

शिक्षा मंत्रालय की अखिल भारतीय सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी- बेटियों में पढ़ाई की चाहत का जज्बा दिखा
गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ नारी केंद्रित हो या शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट हो हर जगह बेटियों का जलवा दिखा- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर पूरी दुनियां जानती है कि महिलाओं का सम्मान और नारी शक्ति का का सशक्त मूल्यांकन और प्रोत्साहन जितना अधिक गंभीरता से भारत में होता है उतना शायद कहीं नहीं होता। आज हम भारतीय हर क्षेत्र में नारी शक्ति का बोलबाला देख रहे हैं। शिक्षा क्षेत्र से लेकर अंतरिक्ष तक यानी जमीन से आसमान तक विकास की और तेजी से कदम बढ़ाते हुए विकसित भारत लक्ष्य प्राप्त करने में नारी शक्ति का अभूतपूर्व योगदान प्राप्त हो रहा है। जिसका ताजा उदाहरण हमने गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2024 को देखा जिसमें पूरी कर्तव्य पथ परेड और अन्य कार्यक्रम महिला केंद्रित रहे, चाहे वह परेड हो या फिर सांस्कृतिक झांकियां अधिकतम महिला सशक्ति करण केंद्रित थी। जिसकी सटीकता पर मोहर दिनांक 27 जनवरी 2024 को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी अखिल भारतीय सर्वेक्षण रिपोर्ट 2020-21 में भी लगाई गई। जिसमें कहा गया है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं शिक्षा क्षेत्र में अधिक आ रही है। इस तरह आज माननीय उपराष्ट्रपति, पीएम, शिक्षा मंत्री ने भी नारी शक्ति पर हामी भरते हुए कहा महिला सशक्तिकरण का शैक्षणिक सुधारो के व्यापक प्रभाव को रेखांकित करता है। चूंकि 26 जनवरी और आज 27 जनवरी 2024 को शिक्षा मंत्रालय द्वारा अपनी रिपोर्ट में बेटियों की अधिक चाहत पढ़ाई में बताई है, इसलिए आज हम मीडिया पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ नारी केंद्रित हो या शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी अखिल भारतीय सर्वेक्षण रिपोर्ट हो, हर जगह साफ दिखने को मिला बेटियां आगे बढ़ना चाहती है।

साथियों बात अगर हम दिनांक 27 जनवरी 2024 को जारी शिक्षा मंत्रालय की सर्वेक्षण रिपोर्ट की करें तो, लड़कियों ने किए सबसे ज्यादा नामांकन उच्च शिक्षा को लेकर छात्राओं में सबसे ज्यादा रुचि देखी गई है। 2014-15 में देश में उच्च शिक्षा में नामांकन कराने वाली छात्राओं की संख्या जहां 1.57 करोड़ थी, वह 2021-22 में 2.07 करोड़ हो गई। एससी/एसटी छात्र-छात्राओं के नामांकन में भी काफी बढ़ोतरी दर्ज हुई है। यूनिवर्सिटी के नए संस्थान सरकार की ओर से आयोजित उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2021 के अनुसार, 2014-15 से 341 विश्वविद्यालय/विश्वविद्यालय स्तर के संस्थान स्थापित किए गए हैं। वहीं छात्र/छात्राओं की बढ़ती संख्या के साथ महिला शिक्षको की संख्या 2014-15 में 5.69 लाख से बढ़कर 2021-22 में 6.94 लाख हो गई है। वर्ष 2021-22 के लिए हाल ही में जारी उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) के अनुसार पिछले आठ वर्षों में पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाओं ने उच्च शिक्षा में नामांकन किया है। 2014-15 के बाद से उच्च शिक्षा में कुल नामांकन में वृद्धि (91 लाख) में महिलाओं की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत है।

नवीनतम सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, कुल नामांकन 4.33 करोड़ में से 48 प्रतिशत या 2.07 करोड़ महिलाएं हैं। 2019-20 में महिला नामांकन में 1.88 करोड़ से 2.01 करोड़ की मामूली वृद्धि देखी गई। 2014-15 में कुल 3.42 करोड़ नामांकन में महिलाओं का प्रतिशत 46 प्रतिशत था। वहीं, उच्च शिक्षा में 2021-22 के सत्र में नामांकन बढ़कर लगभग 4.33 करोड़ हो गया जो इससे पिछले सत्र में 4.14 करोड़ था। विज्ञान संकाय में महिला अभ्यर्थियों के नामांकन की संख्या पुरुषों की संख्या से अधिक है। उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) में यह जानकारी सामने आई है। शिक्षा मंत्रालय की ओर से बृहस्पतिवार की रात जारी सर्वेक्षण के अनुसार कुल मिलाकर महिला नामांकन 2020-21 में 2.01 करोड़ से बढ़कर 2021-22 सत्र में 2.07 करोड़ हो गया है। एआईएसएचई की रिपोर्ट में कहा गया है, उच्च शिक्षा में कुल नामांकन 2020-21 में 4.14 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में लगभग 4.33 करोड़ हो गया है। वर्ष 2014-15 में नामांकन के आंकड़े 3.42 करोड़ में लगभग 91 लाख की वृद्धि हुई है। इसमें कहा गया है, महिला नामांकन 2020-21 में 2.01 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में 2.07 करोड़ हो गया है। वर्ष 2014-15 में महिला नामांकन में 1.57 करोड़ के मुकाबले लगभग (32 प्रतिशत) 50 लाख की वृद्धि हुई।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पीएचडी में महिला नामांकन 2014-15 सत्र के 0.48 लाख से दोगुना होकर 2021-22 में 0.99 लाख हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार 2014-15 से 2021-22 की अवधि के लिए महिला पीएचडी नामांकन में वार्षिक वृद्धि 10.4 प्रतिशत है। इसमें कहा गया है कि 2021-22 में स्नातक, स्नातकोत्तर, पीएच.डी. और एम.फिल स्तर पर 57.2 लाख छात्र विज्ञान संकाय में नामांकित हैं। जिसमें छात्राओं की संख्या 29.8 लाख के मुकाबले छात्रों की संख्या (27.4 लाख) से अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार एसटी छात्रों का नामांकन 2014-15 में 16.41 लाख से बढ़कर 2021-22 में 27.1 लाख हो गया जिसमें 65.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। शिक्षा मंत्रालय 2011 से उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण आयोजित कर रहा है, जिसमें देश में उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को शामिल किया गया है। सर्वेक्षण के तहत विभिन्न मापदंडों जैसे छात्र नामांकन, शिक्षकों का आंकड़ा, ढांचागत एवं वित्तीय सूचनाओं आदि पर विस्तृत जानकारी एकत्र की जाती है।

साथियों बात अगर हम देश की बेटियां आगे बढ़ना चाहती है वे पढ़ना चाहती है की करें तो, देश की बेटियां आगे बढ़ना चाहती हैं, वे पढ़ना चाहती हैं। उनकी यह ललक गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ की परेड हो या फिर शिक्षा मंत्रालय की और से उच्च शिक्षा को लेकर जारी अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2021-22 की रिपोर्ट, हर जगह साफ दिखने को मिली। उच्च शिक्षा में उनके बढ़े नामांकन ने सभी को चौंकाया है। यह वर्ष 2014- 15 के मुकाबले 32 प्रतिशत से ज्यादा है। यानी मोदी सरकार के आठ वर्षों में उच्च शिक्षा में बेटियों के पढ़ने की संख्या बढ़ी है। 2021-22 में उच्च शिक्षा के लिए 2.07 करोड़ बेटियों ने दाखिला लिया था, जबकि 2014-15 में यह संख्या 1.57 करोड़ ही थी।पीएचडी (शोध) में दाखिला लेने को लेकर भी जबरदस्त उत्साह दिखाया। इतना ही नहीं, बेटियों ने पीएचडी (शोध) जैसे कोर्सों में दाखिला लेने को लेकर भी जबरदस्त उत्साह दिखाया है। जो 2014-15 के मुकाबले दोगुना हो गया है। वर्ष 2014-15 में पीएचडी के लिए जहां 47 हजार बेटियों ने नामांकन कराया था, वहीं 2021-22 में यह संख्या बढ़कर 99 लाख हो गई है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षा को लेकर अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2021-22 गुरुवार की देर रात जारी किया है।

साथियों बात अगर हम रिपोर्ट के अनुसार बढ़ते शिक्षा क्षेत्र की करें तो, अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण 2021-22 के मुताबिक, देश में सबसे अधिक कालेज उत्तर प्रदेश में हैं, इनकी संख्या 8,375 है, जबकि कालेजों की संख्या में दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र (4,692 कालेज), तीसरे नंबर पर कर्नाटक (4,430 कालेज), चौथे स्थान पर राजस्थान (3,934 कालेज), पांचवें पर तमिलनाडु (2,829 कालेज), छठे पर मध्य प्रदेश (2,702), सातवें पर आंध्र प्रदेश (2,602 कालेज), आठवें पर गुजरात (2,395 कालेज), नौवें पर तेलंगाना (2,083) और दसवें पर बंगाल (1,514 कालेज) है। देश के ऐसे शहर जहां सबसे अधिक कालेज हैं, उनमें बेंगलुरु शहर में सबसे अधिक 1,106 कालेज हैं, जबकि जयपुर शहर में 703 कालेज, हैदराबाद में 491 कालेज, पुणे में 475 कालेज, प्रयागराज में 398 कालेज, रंगारेड्डी में 349 कालेज, भोपाल में 344 कालेज, गाजीपुर में 333 कालेज, सीकर में 330 कालेज और नागपुर में 326 कालेज हैं।

साथियों बात अगर हम दिनांक 27 जनवरी 2024 को माननीय उपराष्ट्रपति, पीएम और केंद्रीय मंत्री के महिला सशक्तिकरण की बात की करें तो, संसद भवन में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने गणतंत्र दिवस परेड में बालिकाओं और महिला प्रतिभागियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना की। उन्होंने संसद और राज्य विधानमंडल में महिलाओं के लिए पारित किए गए एक तिहाई आरक्षण के प्रावधान पर भी प्रसन्नता व्यक्त की और इसे एक ऐतिहासिक कदम बताया। माननीय पीएम ने महिला सशक्तिकरण पर शैक्षणिक सुधारों के व्‍यापक प्रभाव को रेखांकित किया। केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय की एक पोस्ट को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि इन सुधारों से महिला पुरुष समानता के साथ-साथ सभी क्षेत्रों में महिलाओं के नेतृत्व में विकास को भी काफी बढ़ावा मिलेगा।

पीएम ने एक्स पर पोस्ट किया : हमारे शैक्षणिक सुधारों का प्रभाव विशेष रूप से हमारी नारी शक्ति को सशक्त बनाने में सचमुच रूपांतरकारी है। इससे महिला पुरुष समानता के साथ-साथ सभी क्षेत्रों में महिलाओं के नेतृत्व में विकास को भी काफी बढ़ावा मिलेगा। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने नई दिल्ली में अपने आवास पर 225 से अधिक इसरो महिला वैज्ञानिकों के लिए गणतंत्र दिवस का स्वागत समारोह आयोजित किया। इनमें प्रतिष्ठित महिला वैज्ञानिकों का दल भी शामिल था, जिन्होंने गणतंत्र दिवस पर इसरो की झांकी का नेतृत्व किया था, जिसमें चंद्रयान, आदित्य एल1 और अन्य हालिया सफलता की कहानियों को प्रदर्शित किया गया था। जिनको वैश्विक प्रशंसा मिली थी और जिसने 140 करोड़ भारतीयों में से प्रत्येक को इसरो के साथ जोड़ा। इसरो की झांकी का नेतृत्व पूरी तरह से आठ महिला वैज्ञानिकों ने किया, जबकि 220 आमंत्रित महिला वैज्ञानिकों ने अपने जीवनसाथी के साथ दल का उत्साह बढ़ाया। उन्होने कहा कि जैसे ही इसरो की झांकी राष्ट्रपति के बाड़े के करीब आने लगी, कथा वर्णन था, इसरो – विकसित भारत की पहचान।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि देश की बेटियां आगे बढ़ना चाहती है वह पढ़ना चाहती है। शिक्षा मंत्रालय की अखिल भारतीय सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी- बेटियों में पढ़ाई की चाहत का जज्बा दिखा। गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ नारी केंद्रित हो या शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी अखिल भारतीय सर्वेक्षण रिपोर्ट हो हर जगह बेटियों का जलवा दिखा।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

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