मंत्री के आश्वासन से खुश हुए ग्रामीण, बांस के पुल की जगह बनेगा पक्का सेतु

मालदा। 500 छात्रों सहित दो नदियों के बीच बसे ग्रामीण इस आश्वासन से खुश हैं कि मंत्री उनकी परेशानियों के बारे में सोंचकर पक्का पुल बनाने की पहल की है। लंबे समय से चली आ रही उनकी मांग को अब पूरा करेंगी सिंचाई और उत्तर बंगाल विकास राज्य मंत्री सबीना यास्मीन। अपने कार्यालय का कटाव रोकथाम कार्य शुरू करने के लिए मालदा के सुदूर गाजोल गांव गई थीं। गाँव पहुँचने पर मंत्री ने देखा कि दोनों गाँव के लोग महानंदा नदी पर बाँस की चरचरी पुल बनाकर आवाजाही कर रहे हैं।

मंत्री ने गांव के लोगों की समस्याओं को जानकर क्षेत्र में कम बजट का पक्का पुल बनाने काी घोषणा तत्काल की। विभाग के इंजीनियरों को भी तत्काल सर्वे कर प्रोजेक्ट तैयार करने के निर्देश दिए। लंबे समय बाद पक्का सेतु ‘उपहार’ मिलने की उम्मीद में मालदा गजोल व पुखुरिया के लोग खुश हैं। नदी के एक किनारे में मालदा के गजोल की बैरगाछी-2 ग्राम पंचायत है तो दूसरी तरफ रतुआ प्रखंड के पुखुरिया थाने का रानीनगर क्षेत्र है।

बीच से महानंदा नदी बहती है। सूखे के मौसम में भले ही पानी कम होता है, लेकिन मानसून आते ही महानंदा उफान मार लेती है। यहां हजारों लोग अपने दैनिक आवागमन के लिए जिस बांस के चरचरी पुल पर निर्भर होते हैं उसे मानसून आते ही हटा देना पड़ता है। इससे दोनों गांव के बीच संपर्क वस्तुतः कट जाता है। केवल एक नाव को किसी प्रकार के आपातकालीन परिवहन और संचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

हालांकि, लोग पूरे साल दैनिक जीवन, शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यवसाय की जरूरतों के लिए बांस के इस पुल के माध्यम से यात्रा करते हैं। यह काफी जोखिम भरा होता है। लंबे समय से क्षेत्र के लोग पक्का पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं। लेकिन, अब तक कुछ नहीं हो सका है। हाल ही में राज्य मंत्री सबीना यास्मीन उस क्षेत्र में लगभग 6 करोड़ रुपये के नदी कटाव रोकथाम कार्य को शुरू करने आई थीं।

नदी के किनारे काम शुरू करने के लिए आते समय, मंत्री ने बाँस के पुल की खतरनाक स्थिति को देखा। सिंचाई और उत्तर बंगाल विकास राज्य मंत्री ने तुरंत सिंचाई विभाग के इंजीनियरों को बुलाया और क्षेत्र में कम बजट के पक्के पुल के लिए आवश्यक सर्वेक्षण और परियोजना तैयार करने का आदेश दिया।

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