नयी दिल्ली : भारत में कोरोना संकट को लेकर विवादों में आये तबलीगी जमात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका और कभी पेशे से डॉक्टर रहीं तसलीमा नसरीन ने कहा है कि ये जहालत फैलाकर मुस्लिम समाज को 1400 साल पीछे ले जाना चाहते हैं। दिल्ली में तबलीगी जमात के एक धार्मिक कार्यक्रम में हुए जमावड़े और उनमें से कइयों के और उनके संपर्क में आये लोगों के कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आने के बीच तसलीमा ने खास बातचीत में कहा कि मैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में भरोसा करती हूं लेकिन कई बार इंसानियत के लिये कुछ चीजों पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है। यह जमात मुसलमानों को 1400 साल पुराने अरब दौर में ले जाना चाहती है। उनकी पहचान विवादों से घिरी रहने वाली लेखिका के रूप में है लेकिन तसलीमा एक डॉक्टर भी है। उन्होंने बांग्लादेश के मैमनसिंह में मेडिकल कॉलेज से 1984 में एमबीबीएस की डिग्री ली थी। उन्होंने ढाका मेडिकल कॉलेज में काम शुरू किया लेकिन नारीवादी लेखन के कारण पेशा छोड़ना पड़ा।

अंधकार फैला रहे हैं

हम मुस्लिम समाज को शिक्षित, प्रगतिशील और अंधविश्वासों से बाहर निकालने की बात करते हैं लेकिन लाखों की तादाद में मौजूद ये लोग अंधकार और अज्ञानता फैला रहे हैं। मौजूदा समय में साबित हो गया कि ये अपनी ही नहीं दूसरों की जिंदगी भी खतरे में डाल रहे हैं। जब इंसानियत एक वायरस के कारण खतरे में पड़ गई है तो हमें बहुत एहतियात बरतने की जरूरत है। मुझे समझ में नहीं आता कि इन्हें मलेशिया में संक्रमण की खबरें आने के बाद भारत में आने ही क्यों दिया गया। ये इस्लाम की कोई सेवा नहीं कर रहे हैं।

डॉक्टरों पर गर्व है
मुझे दुनिया भर के डॉक्टरों को देखकर गर्व हो रहा है कि मैं इस पेशे से हूं। वे मानवता को बचाने के लिये अपनी जान भी जोखिम में डालने से पीछे नहीं हट रहे। मैं ढाका मेडिकल कॉलेज में थी जब 1993 में मुझे चिकित्सा पेशा छोड़ना पड़ा। बांग्लादेश सरकार ने मेरा पासपोर्ट जब्त कर लिया जब मैं कलकत्ता में एक साहित्य पुरस्कार लेने जा रही थी। मुझसे कहा गया कि कुछ भी प्रकाशित करने से पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी। मैंने विरोध में सरकारी नौकरी छोड़ दी। यह पूछने पर कि क्या मौजूदा हालात में उन्हें फिर सफेद कोट पहनने की इच्छा होती है,  उन्होंने कहा कि अब बहुत देर हो गई है और अब सब कुछ बदल चुका है। शुरूआत में यूरोप ने बतौर बागी लेखिका ही मेरा स्वागत किया और मैंने फिर चिकित्सा पेशे में जाने की बजाय लेखन में ही पूरा ध्यान लगा दिया।

Shrestha Sharad Samman Awards

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

eleven + two =