विनय सिंह बैस की कलम से- बचपन वाली दीवाली!!
विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। बचपन की दीपावली का मतलब छोटी दीवाली, बड़ी दिवाली और
विनय सिंह बैस की कलम से : कातिक आने को है!!
नई दिल्ली। अब सुबह घास में पड़ने वाली ओस सूरज की पहली किरण पड़ते ही
विनय सिंह बैस की कलम से : नीलकंठ
नई दिल्ली। पौराणिक मान्यता है कि विजयदशमी की तिथि को भगवान श्रीराम ने राक्षस रावण
विनय सिंह बैस की कलम से : ‘बरी’ उर्फ ‘उसरहा’ गांव
रायबरेली। रायबरेली जिले के लालगंज बैसवारा कस्बे से छह किलोमीटर दूर स्थित ‘बरी’ गांव को
विनय सिंह बैस की कलम से : हमारे दो गोई बैल!!
विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। हमारे गांव बरी वाले घर में दो गोई (जोड़ी) यानी
बंगालियों के लिए दुर्गा पूजा उत्साह, उमंग और आनंद का महापर्व है
“अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्द नुते। गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते।। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते। जय
कुआर आ गया है!!
विनय सिंह बैस, रायबरेली। ओस सुबह-सवेरे घास पर मोतियों सी बिखरने लगी है। बारिश के
विनय सिंह बैस की कलम से…पितृ पक्ष
विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। लगभग तीन दशक पहले की बात है। मैं 12वीं कक्षा
विनय सिंह बैस की कलम से : पितृपक्ष की सार्थकता
विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। बैसवारा में शादी-ब्याह जैसे शुभ अवसरों में हम परमात्मा, अपने
विनय सिंह बैस की कलम से : विश्वकर्मा दिवस
विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। हमारे समय में यानि 80-90 के दशक तक पढ़ाई का