विनय सिंह बैस की कलम से : पितृपक्ष की सार्थकता

विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। बैसवारा में शादी-ब्याह जैसे शुभ अवसरों में हम परमात्मा, अपने परिवारजनों, रिश्तेदारों और इष्ट मित्रों के अलावा अपने पूर्वजों को भी आमंत्रित करते हैं। मुझे याद है विवाह के एक सप्ताह पहले से ही परिवार की महिलाएं रोज शाम को सामूहिक रूप से एकत्रित होकर अपने पूर्वजों को ‘सांझ न्यौता’ के माध्यम से कुछ इस तरह आमंत्रित करती हैं-

“शारदा सिंह हो तुमहू नेवाते,
हौंसिला सिंह हो तुमहू नेवाते।
जोखू सिंह हो तुमहू नेवाते।

वस्तुत: सनातन संस्कृति में स्थूल शरीर के अतिरिक्त एक सूक्ष्म शरीर भी स्वीकार किया गया है, जो मृत्यु के बाद भी नष्ट नहीं होता। मान्यता है कि पितर इसी सूक्ष्म शरीर से पूजन और तर्पण को ग्रहण करते हैं।
हमारे यहां किसी परिजन की मृत्यु हो जाने पर तीसरे वर्ष उसका श्राद्ध किया जाता है और उसका पिंडदान करके पितरों में मिला दिया जाता है।

ऐसी मान्यता है कि ऐसा नहीं करने पर पितरों की आत्मा भटकती रहती है। पिंडदान या श्राद्ध करने के बाद ही पितरों को जलांजलि दी जा सकती है और उन्हें शुभ कार्य में आमंत्रित किया जा सकता है।

सनातन धर्म के अनुसार पितृ पक्ष या महालया पक्ष या श्राद्ध पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृ लोक से भूलोक यानि पृथ्वी पर आते हैं। इस वर्ष 18 सितंबर से 02 अक्टूबर तक पितृपक्ष रहेगा। 18 सितंबर को सुबह आंशिक चंद्रग्रहण भी है लेकिन चूंकि इसका प्रभाव भारत पर नहीं पड़ेगा, इसलिए सूतक भी नहीं लगेगा अर्थात पूजा पाठ और श्राद्घकर्म किये जा सकते हैं।

पितृ पक्ष के दौरान किये जाने वाले कर्म विधान संपूर्ण मानवता को समर्पित है। पूर्वजों की स्मृति में दिया गया दान किसी भूखे का पेट भर सकता है। किसी जरूरतमंद की जरूरत बन सकता है। यही पितृपक्ष की सार्थकता है। इन्हीं विशिष्ट कारणों से “सर्वे भवन्तु सुखिन:’ का उद्घोष करने वाली सनातन संस्कृति दुनिया की सबसे विलक्षण संस्कृति है।

इसका लोहा इसको मिटाने का ख्वाब देखने वाले आक्रांता अपने दुर्दिन में ही सही लेकिन मानते जरूर हैं। तभी तो किले में अपने कुपुत्र द्वारा कैद शाहजहां, अत्याचारी औरंगजेब को लिखे पत्र में कहता है :-
“ऐ पिसर तू अजब मुसलमानी,
ब पिदरे जिंदा आब तरसानी। आफरीन बाद हिंदवान सद बार,
मैं देहंद पिदरे मुर्दारावा दायम आब।”
(तू अपने जीवित पिता को पानी के लिए तरसा रहा है। शत-शत बार प्रशंसनीय हैं वे हिंदू, जो अपने मृत पितरों को जलांजलि देते हैं।)

विनय सिंह बैस, लेखक/अनुवाद अधिकारी

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2 × five =