बैसवारा का जेठुआन!!
रायबरेली। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को ‘देवउठनी एकादशी’ या ‘हरिप्रबोधिनी एकादशी’ कहते
आशा विनय सिंह बैस की कलम से : महापर्व छठ
आशा विनय सिंह बैस, रायबरेली। पिछले कुछ वर्षों में अगर कोई त्यौहार पूरे भारत में
बचपन वाली दीवाली!!
रायबरेली। बचपन की दीपावली का मतलब छोटी दीवाली, बड़ी दिवाली और उसके बाद गंगा स्नान
आशा विनय सिंह बैस की कलम से : कातिक आने को है!!
नई दिल्ली। सुबह घास में पड़ने वाली ओस सूरज की पहली किरण पड़ते ही मोतियों
शादी-ब्याह जैसे शुभ अवसरों में हम अपने परिवारजनों, रिश्तेदारों और इष्ट मित्रों के अलावा अपने पूर्वजों को भी आमंत्रित करते हैं
रायबरेली। मुझे याद है विवाह के एक सप्ताह पहले से ही परिवार की महिलाएं रोज
आशा विनय सिंह बैस की कलम से : महालया
आशा विनय सिंह बैस, रायबरेली। बानी कुमार द्वारा लिखित और पंडित बीरेंद्र कृष्ण भद्र की
आशा विनय सिंह बैस की कलम से : दक्षिण भारत, उत्तर भारत से कई मामलों में बेहतर है!!
आशा विनय सिंह बैस, रायबरेली। मुझे अच्छी तरह याद है कि 1996 में जब मैं
आशा विनय सिंह बैस की कलम से : मृत्यु भोज!!
रायबरेली। बाबा की पीढ़ी के समय हमारे परिवार में लगभग 50 लोग एक साथ बरी
आशा विनय सिंह बैस की कलम से : अजमेर यात्रा!!
आशा विनय सिंह बैस, रायबरेली। अरावली पर्वत श्रेणी की तारागढ़ पहाड़ी की ढाल पर स्थित
आशा विनय सिंह बैस की कलम से : पापा जैसे ठाकुरों को हर सहृदय मनुष्य के अंदर ‘जिंदा’ करने की जरूरत है
आशा विनय सिंह बैस, रायबरेली। पापा बताते थे कि दो-तीन पीढ़ी पहले उनके पूर्वज जमींदार