डीपी सिंह की रचनाएं

असल सियासत अजी सियासी पार्टियाँ, यूँ ही हैं बदनाम असल सियासत खेलना, है एस सी

डीपी सिंह की रचनाएं

यूपी चुनाव विशेषांक-2 आनी थी परियोजना, ऐसी एक विचित्र टोंटी से हर गेह में, टप

डीपी सिंह की रचनाएं

कुण्डलिया अम्मी जिसकी चर्च में, दादा कब्रिस्तान आज वही हिन्दुत्व पर, बाँट रहा है ज्ञान

डीपी सिंह की रचनाएं

कुण्डलिया बीवी बहना बाप की, पत्री रहे खँगाल पुलिस कमिश्नर लुप्त है, अजब राज्य का

डीपी सिंह की रचनाएं

कुण्डलिया सूर्पणखा की नाक से, शुरू हई जो डाह कैसे पूरी स्वर्ण की, लंका हुई

डीपी सिंह की रचनाएं

कुण्डलिया एक दिन का पत्नी प्रेम सबके दिल में ले रहा, पत्नी प्रेम हिलोर। शक

डीपी सिंह की रचनाएं

कुण्डलियाँ फ़सलें बो कर द्वेष की, रहे रक्त से सींच खालें ओढ़ किसान की, बैठे

डीपी सिंह की रचनाएं

कुण्डलिया कांग्रेस पर है “राहु” की, वक्री दशा विशेष “सिंह” राशि में कर गये, “गुरु”

डीपी सिंह की कुण्डलिया

सूखा कचरा डालिए, नीले कूड़ेदान। गीले कचरे के लिए, हरा रंग श्रीमान।। हरा रंग श्रीमान,

डीपी सिंह की कुण्डलिया

फिर से आए बुद्ध तो, फिर होगा इक बार। हिंसक पशु के सामने, हिन्दू ही