विकास लापता सुरक्षा घायल ( व्यंग्य-कथा ) : डॉ लोक सेतिया

जहां कहीं भी हो देश की व्यवस्था को तुम्हारी तलाश है। खोजने वाले को ईनाम

लाज का घूंघट खोल दो ( व्यंग्य-कथा ) : डॉ लोक सेतिया 

खुद को अपराध न्याय सुरक्षा सामाजिक सरोकार के जानकर सभी कुछ समझने वाले बतलाने वाले

रिया सिंह की कविता : “गौ हत्या”

“गौ हत्या” पाप से तुमको डर नहीं लगता? इतना सच सच कहना तुम। हे मनुष्य

गणिका डाकू और सिपहसलार (व्यंग्य-कथा) : डॉ लोक सेतिया

जाने कितने आशिक़ थे उस के जो उसकी अदाओं पर फ़िदा थे। उसका नाच देखते

रिया सिंह की कविता : “अबकी बारिश”

“अबकी बारिश” ये आसमाँ में उमड़ कर जमी पर बिखर जाते हैं ये बारिश है

ढूंढो ढूंढो ढूंढो चौकीदारों को ( हास-परिहास ) : डॉ लोक सेतिया

कुछ दिन महीने या साल भर पहले कितने लोग चौकीदार होने को गौरव की बात

जो देश में हो वो होने दो ( ग़ज़ल ) : डॉ लोक सेतिया “तनहा”

जो देश में हो वो होने दो जो देश में हो वो होने दो ,

रिया सिंह की कविता : “हे प्रभु”

“हे प्रभु” क्या मिट जाएगा देश हमारा? वर्षों से जो हमको प्यारा, क्या रैन अब

बाज़ीगर जादूगर सौदागर छलिया (व्यंग्य) : डॉ लोक सेतिया 

एक भी अनेक भी जैसे कोई ठगने वालों की टोली हो। आपको ये सभी काल्पनिक

खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज में वेब संगोष्ठी एवं काव्यपाठ

कोलकाता : कोलकाता के प्रतिष्ठित कॉलेज खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज की ओर से वेब संगोष्ठी