भावनानी के भाव : उपभोक्ताओं को खुशी समृद्धि में भिगोना है

।।उपभोक्ताओं को खुशी समृद्धि में भिगोना है।। किशन सनमुखदास भावनानी बिजली पेट्रोल डीजल कीमतों को

डीपी सिंह की कुण्डलिया

कुण्डलिया किसके सीने पर लगा, कितना गहरा घाव धर्म लिंग गृह जाति से, तय करते

डीपी सिंह की कुण्डलिया

।।कुण्डलिया।। बिल्ली मौसी के गले, घण्टी बाँधे कौन मीटिंग होती रोज़; पर, चूहे रहते मौन

अशोक वर्मा “हमदर्द” की कविता : पीपल की छांव में

।।पीपल की छांव में।। अशोक वर्मा “हमदर्द” पीपल की छांव में दुपहरी में शीतलता लिये,

डीपी सिंह की रचनाएं

सर छुपाने को भी जर-जमीं चाहिये भाव हों अंकुरित, तर-जमीं चाहिये चाह है तुझ पॅ

भावनानी के भाव : घर में बड़े बुजुर्ग जरूरी है

।।घर में बड़े बुजुर्ग जरूरी है।। किशन सनमुखदास भावनानी घर में बड़े बुजुर्ग जरूरी है

भावनानी के भाव : भारत में उत्पादित चीजें अपनाना है

।।भारत में उत्पादित चीजें अपनाना है।। किशन सनमुखदास भावनानी स्टार्टअप इनोवेशन को आगे बढ़ाना है

अनुराधा वर्मा “अनु” की कविता : संयुक्त परिवार

।।संयुक्त परिवार।। अनुराधा वर्मा “अनु” अपना ये संयुक्त परिवार जहां खुले सुख समृद्धि का द्वार

भावनानी के भाव : पाप की कमाई का असर है

।।पाप की कमाई का असर है।। किशन सनमुखदास भावनानी अब स्थिति जानवर से बदतर है

अशोक वर्मा “हमदर्द” की कविता : प्रकृति

।।प्रकृति।। अशोक वर्मा “हमदर्द” मानव मोह जब से गहराया भौतिक सुख ने ध्वज लहराया, प्रकृति