डॉ. आर.बी. दास की कविता

जब झूठे शोर मचाते हैं, तब सच्चे चुप हो जाते हैं, जब सच्चे चुप हो

डॉ. आर.बी. दास की कविता

लोग कहते हैं दुनिया बदल गई है, क्या बदला है दुनियां में…? मिर्ची ने अपना

डॉ. आर.बी. दास की कविता

“खुश रहिए मस्त रहिए” इस जीवन की चादर में, सांसों के ताने बाने हैं, दुःख

डॉ. आर.बी. दास की कविता

।।डॉ. आर.बी. दास की कविता।। टूट जाता है गरीबी में, वो रिश्ता जो खास होता

डॉ. आर.बी. दास की कविता : कौन हूं मैं

।।कौन हूं मैं।। डॉ. आर.बी. दास कभी लगता है शोर हूं मैं, कभी लगता है

डॉ. आर.बी. दास की कविता

सुंदरता हो न हो, सादगी होनी चाहिए… खुशबू हो न हो… महक होनी चाहिए, रिश्ता

डॉ. आर.बी. दास की कविता

धीरे-धीरे जिंदगी ऐसी होती जा रही है कि… अब किसी भी चीज की दिलचस्पी नहीं

डॉ. आर.बी. दास की कविता

कैसे करे किसी पर भरोसा, यहां लोग पल-पल में रंग बदलते हैं, पीठ पीछे करते

डॉ. आर.बी. दास की कविता

अब कोई उम्मीद, कोई आस नहीं रखते, जिंदगी पर भी, कोई विश्वास नहीं रखते। घटती

डॉ. आर.बी. दास की कविता

आंखों में कई ख्वाब, दिल में कई हसरतें बाकी हैं, मैं कैसे थक जाऊ… अभी