गोपाल नेवार ‘गणेश’ सलुवा की कविता
गोपाल नेवार,’गणेश’ सलुवा । 26 जनवरी 2022 गणतंत्र दिवस के 73 वर्ष पूर्ण होने के पावन
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : वरिष्ठ नागरिक
।।वरिष्ठ नागरिक।। गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा लोग कहते हैं बड़े ही नसीब वाले होते हैं
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : इंतजार
।।इंतजार।। गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा वक्त ने जब साथ दिया था तब बहुत कुछ पाया
ईस्टर्न फ्रंटियर रायफल्स की स्थापना दिवस पर विशेष…
ईएफआर के इतिहास के पन्नों से, गोपाल नेवार की कलम से… खड़गपुर : मुझे यह
गोपाल नेवार ‘गणेश’ सलुवा की रचनाएं
चंद शेर “बुद्धिजीवी” पढ़े-लिखे किनारा कर गए सारे राजनीति से चोर, डकैत बन रहे है नेता
गोपाल नेवार ‘गणेश’ सलुवा की कविता- उम्र ने बूढ़ा बना दिया
उम्र ने बुढ़़ा बना दिया बीते दिनों की देखकर तस्वीर को विश्वास नहीं हो रहा
गोपाल नेवार की कविता : “आहत पिता”
“आहत पिता” *********** सभी पिता की भांति आशा की किरण मेरे मन-प्रांतर में भी फूटी-
गोपाल नेवार की कविता : “मेरी माँ”
मेरी माँ ********* माँ मेरी माँ मैं तेरी लाड़ली हूँ माँ बेशक मैं तेरी छोटी
गोपाल नेवार की कविता : “दो बूंद विष”
“दो बूंद विष” **** मृत्यु से डरता नहीं है वह न ही डरता है किसी
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