या दिल की सुनो दुनिया वालो या मुझको अभी चुप रहने दो
कहो भी क्या कहना है, अब बोलते क्यों नहीं। नानी मर गई है क्या? ये
अब नहीं तो कब समझोगे
अमेरिका में जो हुआ उसको खराब बताना ही काफ़ी नहीं है सीख सको तो इक
नाम शोहरत काम नहीं अंजाम नहीं
सबसे पहले इस आलेख को किसी व्यक्ति के पक्ष विपक्ष से जोड़कर नहीं निरपेक्ष भावना
ज़िंदगी पर सबका एक सा हक़ हो
साल नया है नया ज़माना अभी तक आया नहीं है। लोग भूल गए ऐसी कहानियों
किसान होना क्या होता है
मोदी जी उनके दल के विधायक सांसद अन्य दलों के नेताओं कुछ पढ़े लिखे कुछ
किसान की ताकत किसान का हौंसला
मुझे इक महान विदेशी जानकार की कही बात याद आई है। उनका नाम भूल गया
जनसेवकों के लिए न्यूनतम समर्थन वेतन तय हो
सबसे पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य का मकसद समझते हैं। किसान को समझाया जाता रहा है
अन्नदाता तुम आना जब दिल्ली बुलाए ( मरी हुई संवेदना )
किसानों को दिल्ली आने से रोकना सत्ता का अनुचित इस्तेमाल कर तमाम तरह से ,
कितनी लाशों पे अभी तक, एक चादर सी पड़ी है
जाँनिसार अख़्तर जी की ग़ज़ल से दो शेर उधार ले रहा हूं। आज 27 नवंबर
उज्जवल भविष्य निर्माण का मार्ग तलाश करना
आशावादी ढंग से पिछले समय के अनुभव से सबक लेकर हमें विचार विमर्श करते हुए