डी.पी. सिंह की रचना
जय राम का उद्घोष करती राम की सेना चली। सुग्रीव अङ्गद ऋक्षपति हनुमान – से
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डीपी सिंह की रचनाएं
।।नेता निर्माण प्रक्रिया।। डीपी सिंह नर जन्म तो है, ईश्वर की रचना पर है अजूबा,
जोगीरा सा रा रा रा रा…चुनावी होली
।।चुनावी होली।। दारू बाँटी और चलाया नशामुक्ति का खेल किन्तु खिलाड़ी सभी धुरन्धर आख़िर पहुँचे
डी.पी. सिंह की रचनाएं
ज्ञान-दीप अज्ञान-तिमिर से डट कर सारी रात लड़ा जारी था प्रतिरोध तमस का, दीप तले
डीपी सिंह की रचनाएं
है पता सबको कि संस्कृति कूप में क्यों जा पड़ी है है खबर बेहतर सभी
डीपी सिंह की रचनाएं
।।ज़िन्दगी।। वक़्त की छलनी से होकर उम्र छनती जा रही है देह, लगता है धनुष
अभिनन्दन श्री राम आपका, राम! आपका अभिनन्दन!!
अभिनन्दन श्री राम आपका, राम! आपका अभिनन्दन!! करबद्ध निवेदन है राघव! स्वीकार करें पूजन वन्दन
डीपी सिंह की रचनाएं…
महाराणा के प्रताप का न झेल पाये ताप मुगलों के बार-बार मुँह काले हो गये
डीपी सिंह की रचनाएं…
।।माँ।। सोच रहा हूँ, खोज करूँ इक ऐसे वाई-फ़ाई की एसी में जो ठण्डक ला