नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत उपराष्ट्रपति आवासीय एवं अन्य भवनों प्रस्तावित निर्माण के लिए जमीन के इस्तेमाल के वास्ते किए गए आवश्यक कानूनी बदलाव को चुनौती देने वाली रिट याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश महेश्वरी और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की खंडपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें पर विचार के बाद याचिका खारिज कर दी। पीठ ने केंद्र सरकार की इस दलील पर सहमति जताई कि परियोजना के तहत जमीन के उस हिस्से को उपराष्ट्रपति आवासीय क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव सरकार का एक नीतिगत फैसला है।

शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता के इस तर्क को अस्वीकार कर दिया कि परियोजना के तहत आने वाला जमीन का वह हिस्सा अतीत में मनोरंजन के मैदान के रूप में दिखाया गया था और इसीलिए उसे यथावत रखना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वकांक्षी परियोजना के तहत प्लॉट नंबर एक के इस्तेमाल संबंधी कानूनी बदलाव को राजीव सूरी नामक व्यक्ति ने चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत हजारों करोड़ रुपए की इस महत्वकांक्षी परियोजना से जुड़ी एक अन्य याचिका को पहले खारिज कर चुकी है।प्रधानमंत्री मोदी की महत्वकांक्षी परियोजना के निर्माण कार्य को उच्चतम न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से इससे पहले भी हरी झंडी मिली थी।

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