बंगाल में गांवों पर लोमड़ियों के हमले में 40 लोग घायल

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में लोमड़ियों के एक झुंड ने एक गांव में घुस कर 40 लोगों को घायल कर दिया। राज्य के उत्तरी और दक्षिणी इलाकों में हाथियों का झुंड अक्सर इंसानी बस्तियों पर हमला कर जान-माल को भारी नुकसान पहुंचाता है। कोलकाता से सटे दक्षिण 24-परगना जिले के सुंदरबन इलाके में तो शायद ही कोई ऐसा महीना बीतता है जब दो-चार मछुआरे रॉयल बंगाल टाइगर का निवाला ना बनते हों। इन घटनाओं से साफ है कि लगातार बढ़ती आबादी, शहरीकरण की तेज गति और पेड़ों की अवैध कटाई से सिकुड़ते जंगल के कारण इंसानों और जानवरों के बीच संघर्ष के मामले लगातार तेज हो रहे हैं।

पर्यावरणविद इन घटनाओं के लिए जलवायु परिवर्तन को भी जिम्मेदार मानते हैं। लोमड़ियों के हमले हाल में पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में लोमड़ियों के एक झुंड के हमले में कम से कम 40 लोग घायल हो गए। इससे नाराज गांव वालों ने दो लोमड़ियों को पत्थरों और लाठियों से मार डाला। घायल लोगों में से 20 की हालत गंभीर है और अब तक उनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। वैसे, उस इलाके में पहले भी एकाध बार लोमड़ी के हमले में लोगों के घायल होने की खबरें आती रही हैं।

ऐसी आखिरी घटना दो साल पहले हुई थी. लेकिन अब लोमड़ियों के झुंड के किसी गांव पर हमले ने वन विभाग के लोगों को भी हैरत में डाल दिया है।पर्यावरणविदों का कहना है कि इलाके में जंगल तेजी से कम हो रहे हैं। इसी वजह से जानवर अब भोजन की तलाश में झुंड में इंसानी बस्तियों तक पहुंच रहे हैं। सुंदरबन के बाघों का मामला हो या फिर उत्तर और दक्षिण बंगाल के गांवों में जंगली हाथियों के हमले का, सबके पीछे यही दो-तीन ठोस कारण हैं।

सुंदरबन में बढ़ता संघर्ष आबादी के बढ़ते दबाव और पर्यावरणीय असंतुलन की वजह से सुंदरबन लगातार सिकुड़ रहा है। इसके चलते आसपास रहने वाले लोग बाघों की जद में आ रहे हैं। सुंदरबन इलाके में कुल 102 द्वीप हैं। इनमें से 54 द्वीपों पर आबादी है। मछली मारना और खेती करना ही यहां आजीविका के प्रमुख साधन हैं। हाल ही में एक अध्ययन में इलाके के मैंग्रोव जंगलों के तेजी से घटने पर चिंता जताते हुए कहा गया है कि यही स्थिति रही तो वर्ष 2070 तक सुंदरबन में बाघों के रहने लायक जंगल नहीं बचेगा।

सुंदरबन इलाके पर लंबे अरसे से शोध करने वाले कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय के समुद्र विज्ञान अध्ययन संस्थान के निदेशक डॉ. सुगत हाजरा कहते हैं, “इलाके में इंसानों और बाघों के बीच संघर्ष अब चिंताजनक स्तर तक पहुंच गया है।” वन विभाग की ओर से गठित एक विशेषज्ञ समिति ने कुछ समय पहले अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि सुंदरबन से सटी बंगाल की खाड़ी का जलस्तर और पानी में खारापन बढ़ने, शिकार की जगह घटने और पसंदीदा भोजन नहीं मिलने से बाघ भोजन की तलाश में इंसानी बस्तियों में आने लगे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *