डॉ. आर. बी. दास, पटना। सूर्य का दिन “रविवार” नाम हेलेनिस्टिक ज्योतिष से लिया गया है, जहां सात ग्रहों को अंग्रेजी में शनि, बृहस्पति, मंगल, सूर्य, शुक्र, बुध और चंद्रमा के रूप में जाना जाता है। प्रत्येक को दिन का एक घंटा सौंपा गया था और जो ग्रह सप्ताह के किसी भी दिन के पहले घंटे के दौरान शासन करता था। वह उस दिन को अपना नाम देता था। रविवार की छुट्टी की शुरुआत सन 1843 ई. में हुई थी। इसका मकसद सरकारी कार्यालय में काम कर रहे लोगों को मानसिक रूप से विश्राम प्रदान करना है।
पंचांग के अनुसार यह दिन शुभ है। प्रायः इस दिन कार्यालय में अवकाश रहता है अतः सामाजिक एवं धार्मिक कार्यक्रम रविवार को ज्यादा होते हैं। यह भी कहा जाता है कि जिस दिन ईशा मसीह ने अपना शरीर त्यागा उस दिन को गुड फ्राइडे कहते हैं और रविवार के दिन उन्हे जीवित देखा गया था उस दिन को ईस्टर संडे कहते हैं। तभी से रविवार के दिन चर्च में ईशु को मानने वाले लोग प्रार्थना करते हैं। इसी कारण से अंग्रेजों ने भारत में रविवार को छुट्टी घोषित कर दी।
कुछ लोगों का मानना है कि 07 मार्च 321 ई. को रोम के प्रथम ईसाई सम्राट कोंस्टेटाईन प्रथम ने आदेश दिया कि रविवार को रोमनो का विश्राम दिवस माना जायेगा। सूर्य के आदरणीय दिन पर मजिस्ट्रेट और शहरों में रहने वाले लोग आराम करें और सभी कार्यशालाएं बंद रखे।
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