“प्यारे पवन पुत्र हनुमान”
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श्री राम के हैं अति प्यारे पवन पुत्र हनुमान।
केसरी नन्दन को मैं करती हूं शत-शत नित प्रणाम।
बल,बुद्धि,विद्या और ज्ञान के दाता हनुमान,
अष्ट सिद्धि और नव निधि के प्रदाता हनुमान।
पवन पुत्र सूर्य देव के शिष्य बने महान।
कठिन तप साधना से पाए शास्त्र ज्ञान।
हनुमान तेरी बलिहारी भक्तों की लाज बचाए।
राम सुकण्ठ मीत हितकारी अगन की साक्षी दिलाए।
राम दूत हनुमान जी,तुम सीता माँ के दुलारे।
सोने की लंका दहन करी,और दानव दल संहारे।
मातु सिया की खोज में निकले महावीर हनुमान।
अशोक वाटिका में प्रवेश करें फिर लंकापति के धाम।
हनुमान हाथ जोरे कपि है खड़े, सिया को करे प्रणाम।
देकर सिया को मुद्रिका,कहते जय श्री राम।
फल खाए वाटिका उजारी, रखवारे मार भगाए।
लंक जलाकर कर दी कारी यों महावीर कहलाए।
संकट सगरे दूर करो,हम आये तेरी शरणा।
जब तुम हो रक्षक हनुमंता,फिर काहू का डरना।
जग में नहीं कोई सेवक हनुमान सामान।
राम भक्ति और कर्तव्य निष्ठा से बने महान।
भूत प्रेत पिशाचर से करे रक्षा जब हनुमत को गुहरावे।
हांथ लिए गदा हुंकारते अपनें भक्तों के कष्ट निवारे।
धूप-दीप करके आरती उनकी गाएं।
हनुमान चालीसा शुद्ध मन से सुनाए।©®
सुजाता कुमारी चौधरी
पश्चिम बंगाल