“नवरात्रि पूजा”
चैत्र मास का पहला दिन यह, नूतन संवत् मान।
नया साल लेकर यह आता, नवरात्रि पूज्यवान।
हे मां दे दो दर्शन,हे मां जोतां वाली,मां शेरावाली।
हे मां अम्बे,हे जगदम्बे, जय मां भवानी।
हे मां शैलपुत्री,चन्द्रघण्टा,ब्रम्हचारिणी,कालिमा दूर करने तुम भूपर आती,
हे मां कूष्माण्डा,स्कन्दमाता,कात्यायनी,मां करती हूं दिल से तव स्तुति।
मां कालरात्री,महागौरी,सिद्धिधात्री,मां मैं कर जोड़ तुमसे करुं विनती।
स्वीकार करो दिल से मां ,मेरी अटूट लगी हुंई,तव चरणों मे भक्ति।
अंजुली भरकर फूल पान चढ़ांऊं,तव चरणों मे,
स्वीकार करो मां पुकार करुं ,मै सच्चे दिल से।
धूप-दीप,फल-फूल,सिन्दूर, कपूर,लौंग,पान,सुपाड़ी समर्पित कीजिए।
संकट मिटाने वाली,विपदा भगाने वाली,माता सर्व शक्ति शाली,शरण हो लीजिए।
हलुआ,पूड़ी,चना, खीरफल,मेवा अरु दूध-दही,रुच-रुच भोग लगायें।
घर-घर वंदनवार माता की चौकी सजायें।
हर पापों व कष्टों से हम सभी को बचाना।
मन मन्दिर में मॉ हर रूपों में आप आना।
मॉ भक्तों में ज्ञान ज्योति का दीप जलाना
अपने भक्तों की मनोकामना को भी पूर्ण करना।
सभी जगत-जननी का हुआ आहवान,विख्यात।
विधि-विधान से पूजा-हवन कर कन्या-भोज संग अंतिम हो दिन पूरा होता नवरात।
जो मैया के शरण में आता,उसका हो जाता है बेड़ा पार माँ तेरे आनें का।
नौ दिन देवी की स्तुति गाता,सजा दिया बंदनवार माँ तेरे आनें का।
नवदुर्गा के पूजन के लिए आया नवरात्रि है।
माँ हर मनोकामना को पूर्ण करने वाली अधिष्ठात्री है।©®
सुश्री सुजाता कुमारी चौधरी,
(कोलकाता पश्चिम बंगाल)