गुरु को समर्पित सुजाता चौधरी की कविता

मिल जाए गुरु की चरण, मिटे वक्ष के पीर ।
आए प्रभु आपके शरण, व्याकुल हृदय अधीर ।।

शरण आपके आ गए, मिल जाए जन्मों जन्मों का बन्धन।
मोह लोभ से मुक्त हो, मिटे सदा संताप का बन्धन।।

चाहत मन का बोझ सा, पूरे होती सब अरमान।
प्रेम मोह में जग फंसा, बढ़े प्रेम से शान।।

प्रेम गली जो आया न कभी,वह गुरु प्रेम,आनंद क्या जाने।
हिंसा में जीवन बीता जिनका,वह शाश्वत आनंद क्या जाने।।

हे! गुरुवर कृपालु दया दिनन नित सभी को आशिर्वाद दो।
आ गये आपके शरण हम अब हमें सवार दो।

हम आपको हरदम पुकारे गुरु मुझे अब तार दो।
ज्ञान की गंगा बहे नित बस यही वरदान दो।।

सुंदर रचना प्रिय लगे, खिली कली मुस्कान।
गुरु देव प्रेम प्यारा मीत है, करता मन गर्व से मान।।

कौन कहता है प्रभु मिलते नहीं, समर्पण कर तो देखिए।
प्रभु सदा ही पास है, अपनी मन की आंखों से दिल में देखिए।।

मिलता है सच्चा सुख , गुरु आपके चरणों की दासी हूं।
रखना कृपा दृष्टि सदा,आपके दर्शन की प्यासी हूं।।

।। सुजाता चौधरी ।।
इंदौर मध्य प्रदेश 

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