गिरमिटिया महोत्सव में रिलीज की जाएगी गिरमिटिया पर लघु फिल्म

कोलकाता। गिरमिटिया फाउंडेशन द्वारा 11 दिसंबर को गिरमिटिया महोत्सव 2021 का आयोजन किया जा रहा है. यह आयोजन भारत से लगभग 200 साल पहले बतौर मजदूर मॉरीशस, फिजी, गुयाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, सूरीनाम और दक्षिण अफ्रीका गए गिरमिटिया मजदूरों के याद में मनाया जा रहा है. यह महोत्सव दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित किया गया है. इस आयोजन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। गिरमिटिया फाउंडेशन यह कार्यक्रम भारत और गिरमिटिया देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य से कर रहा है।

इस आयोजन में देश – विदेश से गिरमिटिया इतिहास पर काम करने वाले कई विद्वान भी जुड़ेंगे, साथ ही भारत सरकार के कई मंत्री और सम्मानित हस्ती भी कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. इस कार्यक्रम की तैयारियों के बीच गिरमिटिया फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष और पत्रकार अमिताभ भूषण ने दिल्ली स्थित फिजी दूतावास में फिजी के उच्चायोग कमलेश शशि प्रकाश से मुलाकात कर उन्हें इस आयोजन का आमंत्रण पत्र सौंपा. उन्होंने आमंत्रण स्वीकार करते हुए इस पर विस्तार पूर्वक चर्चा किया।

उच्चायोग शशि प्रकाश ने गिरमिटिया फाउंडेशन के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि गिरमिटिया को लेकर जिन तथ्यों की जानकारी की जरूरत होगी हाई कमीशन मुहैया कराएगा. फिजी के उच्चायोग कमलेश शशि प्रकाश ने कहा कि यह इतिहास जीतना यातना का रहा है उतना ही प्रेरणा दायक भी है, जिससे आज के युवा पीढ़ी को सीखना चाहिए कि कैसे अभाव में भी हमारे पूर्वजों ने एक नया इतिहास रच डाला. फिजी, मॉरीशस त्रिनिदाद एंड टोबैगो एवं सूरीनाम जैसे छोटे छोटे द्वीपों को सिर्फ समृद्धि ही नहीं बनाया बल्कि अंग्रेजों के गुलामी से मुक्त भी कराया।

उन्होंने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए फिजी के संबंध में कई तरह की जानकारियां भी गिरमिटिया फाउंडेशन के साथ साझा किया। इस मुलाकात के बाद गिरमिटिया फाउंडेशन के अध्यक्ष दिलीप गिरी ने बताया कि इस आयोजन का मकसद भारत के लोगों में भी गिरमिटिया इतिहास के बारे में जागरूकता पैदा करना है और कोशिश यह है कि हमारे शिक्षण संस्थानों में भी गिरमिटिया पर अध्ययन कराया जाए।

ताकि हमारे आने वाली पीढ़ी हमारे पूर्वजों की करुण कथा को जान सके। उनकी शौर्य और साहस की जानकारी के बदौलत आज का पीढ़ी खुद के जीवन में भी कर गुजरने की जज्बा पैदा कर सके. दिलीप गिरी ने बताया कि गिरमिटिया इतिहास यह सिर्फ मजबूरी में विस्थापन और पलायन की ही घटना नहीं है बल्कि यह भारतवंशियों के मेहनत ईमानदारी और समर्पण की एक सुखद इतिहास भी है, जिससे हम सबको प्रेरणा मिलती है. यही कारण है कि गिरमिटिया फाउंडेशन लागतार गिरमिटिया विषय को उठाते रहा है और पिछले 4 साल से इस विषय पर कार्य कर रहा है।

फाउंडेशन उन देशों के लोगों को जिनका संबंध भारत से रहा है उनको उनके पूर्वजों के जड़ तक पहुंचाने में मदद करता आ रहा है. इस आयोजन का मकसद भी गिरमिटिया इतिहास के बारे में अधिक से अधिक लोग जानकारी पहुंचाना भी है, साथ ही उन देशों में रह रहे भारतवंशियों के आज की पीढ़ी को भारत के साथ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक तौर पर और मजबूती के जोड़ना है.

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