World Aids Day: के उपलक्ष में इंडिपेंडेंट रिसर्च एथिक्स सोसाइटी ने मनाया 259वां आयुष समृद्धि इंटरनेशनल वेबिनार

कोलकाता : AYUSH सपोर्टिव केयर फॉर HIV अर्थात A से Ayurved, Y से Yoga, U से Unani, S से Shiddha और H से Homeopathy इनके भिन्न-भिन्न एक्सपर्ट देश और विदेश के कोने-कोने से वेबेक्स प्लेटफार्म द्वारा जुड़े, साथ ही यूट्यूब पर भी कार्यक्रम को का सीधा प्रसारण किया गया। IRES, विश्व आयुर्वेद परिषद् , मेडफार्मा, इमामी, झंडू और सभी के सहयोग से कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह 259वां वेबिनार था और एक दिन पहले 258वां वेबिनार में नेसेसिटी फॉर क्लीनिकल रिसर्च के ऊपर कार्यक्रम सम्पन्न हुआ था। जिसमे डॉ. विपिन शर्मा, फार्मास्युटिकल्स डिवीजन, हरिद्वार से, डॉ. राजीव कुर्ले, फार्मा एक्सपर्ट, देहरादून से, डॉ. अनिल शुक्ला, द्रव्यगुण डिपार्टमेंट, भोपाल से तथा डॉ. पवन शर्मा, कोलकाता से क्लीनिकल रिसर्च से जुड़ी चर्चाएं की। पुरी कार्यक्रम यूट्यूब पर उपलब्ध है इच्छुक व्यक्ति देख सकते हैं।

एड्स डे के कार्यक्रम के मॉडरेटर और होस्ट डॉ. पवन कुमार शर्मा ने सर्वप्रथम उद्घाटन के लिए डॉ. पी. जयप्रकाश नारायणन, मुख्य चिकित्सक सिद्धा क्लीनिक चेन्नई को वेबीनार पर आमंत्रित किया। फिर डॉ. जियाउर रहमान शेख, यूनानी चिकित्सा विशेषज्ञ इलाहाबाद से, डॉ. स्वागत, आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञ, आगरा से और डॉ. अश्विनी कुमार द्विवेदी, होमियोपैथी विशेषज्ञ, इंदौर से जुड़े। सभी विशेषज्ञों ने अपने-अपने चिकित्सा पद्धति या पैथी के बारे में जानकारी दी। साथ ही एड्स के लिए सामाजिक जागरूकता पर बल दिया। विशेष बातों में एड्स रोग अर्थात HIV वायरस जो RNA वायरस है। इसमें इन्फेक्शस होता हैं अतः असुरक्षित सेक्स, संक्रमित इंजेक्शन सिरिंज इत्यादि से भी यह फैलता है।

ड्रग्स ले रहे लोग भी इसके द्वारा संक्रमित होते हैं। जेनेटिक स्प्रेड, संक्रमित अभिभावकों के बच्चों में भी फैलने के कारण हैं …TB या ट्यूबरक्लोसिस के रोगी जिनमे इम्युनिटी कम हो उन्हें भी जांच करवानी चाहिए। ट्रक ड्राइवर, एक से अधिक सेक्स पार्टनर रखने वाले लोगों को भी एक बहुत बड़ी जागरूकता कंडोम के माध्यम से किया हैं जा रहा है। वे मरीज़ जिन्हें बार-बार खासी, सर्दी ठीक नहीं होती है, वजन लगातार कम हो रहा है, जरूरत से ज्यादा कमजोरी लगना, उन्हें साधारण दवाई काम नहीं करता है तो, उनका ELISA HIV टेस्ट करना जरूरी होता है। एड्स खतरनाक बीमारी है और इसमें ख्याल और सहयोग बहुत जरूरी है। सोशल स्टिग्मा से बाहर निकलना होगा। हमें दृष्टिकोण ठीक करना होगा।

एड्स से जुड़ी सुक्ष्म पहलु जैसे बच्चे के माँ बाप अगर संक्रमित हुए, वे बच्चे आगे अनाथ हुए ऐसी बहुत सारे पहलु हैं, नाकि सिर्फ सोशल स्टिग्मा, आर्थिक या कर्म हानि इत्यादि। इन पीड़ितों को आर्थिक और सामाजिक सभी तरह के सहयोग की जरूरत जरूरी है। बहुत सारे पीड़ित जाने अनजाने में बिना किसी खुद की गलती के भी संक्रमित हो जाते हैं। एड्स रोगी के प्रति हिनभावना भी नहीं रखनी है। प्रोफेशनल डॉक्टर, लैब फार्मासिस्ट भी जाने अनजाने इस बीमारी के चपेट में आ जाते हैं! एड्स से कैसे बचे सभी लोगो को जानना जरूरी है।

एड्स पीड़ितों की इम्यूनिटी बहुत ही कम हो जाती है। इसलिए उनका आयुष्य कम हो जाता उन्हें मजबूत और सकारात्मक परिणाम के लिए आयुर्वेद और सिस्टर साइंसेज में इम्युनिटी को बढ़ाने की बहुत ही अच्छी दवा है। हमारे प्राचीन शास्त्र में रोग से लड़ने की ये क्षमता मज्जा-धातु से संबंध है। स्वर्ण से जुड़ी रसशास्त्र औषधि के महत्व जो दवाई के परिणाम से मिले उनके और भी पेपर पब्लिश होने चाहिए। खास चिकित्सा जैसे एड्स के रोगियों में लूस मोशन इत्यादि को कैसे नियंत्रित करें, इत्यादि इत्यादि।

इम्युनिटी पावर की बात हुई तो आयुष सिस्टम को लेकर कोरोना समय की चर्चा हुई, चर्चा में ओमिक्रोण के लिए सुझाव आया कि…ये वायरस म्युटेंट वैरिएंट है और नया है…7 दिसंबर को कॉम्बैट बी आयुष को लेकर वेबिनार का विचार किया गया हैं… इस वेबीनार में सटीक जानकारी प्राप्त करें, डरे नहीं ! कार्यक्रम के आगे की प्रस्तुति की जानकारी हम अपनी खबर में जरूर देंगे। आज के कार्यक्रम में जिन्होंने अपनी बातें रखें वे थे डॉ. मोहसिन, कोलकाता से, प्रो. मदन थांगवेलु कैंब्रिज से, सी.बी. झा, वाराणसी से, डॉ. हरीश वर्मा, कनाडा से, डॉ. राजन पाटणकर, मुंबई से उन्होंने बताया कि लोगों में जागरूकता जरूरी है, मरीजों का काउंसिलिंग साथ ही मरीजों के परिवार की भी काउंसिलिंग जरूरी है।कारण चिकित्सा में मन:स्थिति की बहुत बड़ी भूमिका होती है। मन:स्थिति अगर ठीक है तो चिकित्सा के काफी अच्छे परिणाम मिलेंगे।

प्रो. वि.के. अग्निहोत्री, हरिद्वार से, ने अपने समापन वक्तव्य में कहा कि आज के कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने बहुत ही अच्छी और सटीक जानकारी दी है।उन्होंने वरिष्ठ चिकित्सकों को प्रणाम किया तथा सभी को धन्यवाद दिया। उन्होंने आयुर्वेद की थेरेपी नस्य इत्यादि के उपयोग करने को कहा, तो खाने की दवाई को काम और सपोर्ट, एजुकेशन इस गुड मेडिसिन, जागरूकता जरूरी है जेसे कि, एक से अधिक सेक्स पार्टनर ना रखें, स्वस्थ-वृत्त की इम्पोर्टेंस। इम्युनिटी के साथ मेन्टल, सोशल, इमोशनल सपोर्ट। हमें सभी को आँख खोलने की जरूरत है। आयुष सिस्टम से बहुत कुछ हो सकता है। इस कार्यक्रम में समदूर जी, डॉ. परीक्षित देबनाथ, डॉ. जगदीश्वर जी तथा और भी आयुर्वेद के बहुत सारे हस्तियां जुड़े हुए थे।

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