साहित्य अकादेमी द्वारा अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन

कोलकाता। अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस के अवसर पर साहित्य अकादेमी द्वारा अकादेमी सभागार, कोलकाता में अनुवाद विषयक एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रतिष्ठित बांग्ला विद्वान पवित्र सरकार ने की। अकादेमी द्वारा हाल ही में प्रकाशित तीन पुस्तकों के अनुवादकों को अपने अनुवादकीय अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया था। बादल हेंब्रम ने ताराशंकर बंद्योपाध्याय के उपन्यास “गणदेवता” के संताली अनुवाद संबंधी अनुभवों को साझा किया।

तेलुगु भाषा के प्रतिष्ठित कथाकार चासो की कहानियों का बांग्ला अनुवाद अंग्रेजी के माध्यम से करनेवाले रामकुमार मुखोपाध्याय ने बांग्ला भाषा में अनुवाद की सात सौ वर्षों की परंपरा को संदर्भित करते हुए अपने विचार प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि बांग्ला में किसी तेलुगु पुस्तक का यह प्रथम प्रकाशित अनुवाद है।

बहुभाषी अनुवादक श्यामल भट्टाचार्य ने डोगरी कथाकार ओम गोस्वामी की अकादेमी पुरस्कार प्राप्त कथाकृति “सुन्ने दी चिड़ी” के बांग्ला अनुवाद संबंधी अपने अनुभव साझा किए। सभाध्यक्ष पवित्र सरकार ने अनुवाद की दीर्घकालिक परंपरा को संदर्भित करते हुए कहा कि अनुवाद सिर्फ भाषा का रूपांतरण नहीं है।

यह संस्कृति का रूपांतर है और कहा जा सकता है कि वैविध्य को स्वीकार करने का उपक्रम भी है। आरंभ में अपने स्वागत वक्तव्य में अकादेमी के क्षेत्रीय सचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने कहा कि दुनिया की लगभग अस्सी प्रतिशत जनसंख्या अनेक भाषाएँ जानती है और अपने दैनिक जीवन में हम प्रत्येक क्षण अनुवाद के अनुभव से गुजरते हैं। कार्यक्रम का संचालन करते हुए अकादेमी के कार्यक्रम अधिकारी मिहिर कुमार साहू ने अंत में औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

20 − 1 =