कुछ वक्त पहले पाकिस्तान मे कुछ नाई इसलिये जेल भेज दिये गये थे क्योकि उन्होने अपने ग्राहकों की दाढ़ी को स्टाइलिश जैसा कुछ करने की हिमाक़त की थी! जो सरकार दाढ़ी कैसे बनायें जैसे मामलों मे अपनी नाक घुसेड सकती है, उसकी फुरसत का अंदाज़ा आप और हम लगा ही नही सकते! खैर पाकिस्तानी खुद निपटे अपनी सरकार से हमे क्या, पर हम इस बहाने दाढ़ी-चर्चा तो कर ही सकते हैं!
ये बात तो ख़ैर साफ़ ही है कि दाढ़ी बढ़ाने से लोगों की तवज्जो आपकी तरफ़ जाती है और बडे लोगों की दाढ़ी को सभी निहारते हैं! ये भी देखा गया है कि सर पर बालों की चलाचली हो जाने पर लोग दाढ़ी के भरोसे हो जाते हैं! हमारे हिंदुस्तान मे भी लडको मे यह आम राय है कि दाढ़ी बढा लेने भर से वो ज्यादा मर्द हो जाते हैं! लडकियाँ उन्हे ज्यादा मैच्यौर, रौबदार और हैसियत वाला बंदा मानने लगती है!
इवोल्यूशन एंड इकॉलाजी रिसर्च सेंटर की एक रिसर्च भी इस बात की तस्दीक़ करती है! इस रिसर्च के हिसाब से महिलाएं उन पुरुषों की ओर अधिक आकर्षित होती हैं, जिन्होने कम से कम पिछले दस दिनो से दाढ़ी ना बनाई हो! पता नही इस बारे मे लडकियाँ क्या सोचती है पर मेरा तो यह मानना है कि दाढ़ी का अक़्लमंदी और पर्स से कोई लेना-देना नही होता!
आदिम ज़माने मे तो दाढ़ी बनाने का चलन मुमकिन था नही! इसलिये दाढ़ी खुद उगती थी और अपने हिसाब से बेतरतीब फैलती, बढती थी! दाढ़ी तब दुश्मनों को डराने के काम तो आती ही थी! चेहरे को चोट से भी बचाने की ज़िम्मेदारी संभालती थी!
दाढ़ी की सबसे ज्यादा इज्जत की मिश्र वालो ने! पुराने मिस्र में केवल उन्हीं लोगों को दाढ़ी रखने का हक था जो कि समाज के सबसे ऊंचे तबके के होते थे! अमीर लोग दाढ़ी बढ़ाते थे, उन्हें मेहंदी से रंगते थे और अतिरिक्त सजावट के तौर पर दाढियो मे सोने के धागों का इस्तेमाल किया जाता था! मिस्र के राजाओं के ताबूतों में सोने-चाँदी की नकली दाढि़यां भी रखी जाती थीं! नकली दाढ़ियाँ फैशन मे तो थी ही, धार्मिकता की निशानी भी मानी जाती थीं इसलिए तब की रानियां और महिला धर्मगुरू भी ऐसी दाढ़ियां लगाये घूमती थी!
हमारे यहाँ भी पुलिस और बीबी की वजह से भगोड़े हुये या भगवान से सच्ची में लौ लगा बैठे बंदे, जब हिमालय का रूख करते हैं तो उनके लिये दाढ़ी बढ़ाना अनिवार्य हो जाता है! दाढ़ी वो चीज़ है जो लंपटो को भी भव्यता प्रदान कर सकती है! दाढ़ी हमारे सारे धतकरम के तिनके छुपा लेती है और हम आदरयोग्य हो जाते हैं!
प्राचीन रोम में दाढ़ी रखने भर से आदमी को दार्शनिक मान लिया जाता था! तब वहाँ के रहवासी मानते थे कि दाढ़ी रखने वाले बंदे सामाजिक मान्यताओं को महत्व नहीं देते हैं और उन्होंने अपना जीवन अध्ययन को समर्पित कर दिया है! लेकिन जब सम्राट डोमेतियों ने सत्ता संभाली तो दार्शनिकों और उनकी दाढ़ी को रोम से बाहर कर दिया! लेकिन यह दाढ़ीद्रोही केवल पन्द्रह साल ही राज कर पाया और उसकी हत्या हुई!
दाढ़ी बहुत से मशहूर लोगो की आइडेंटिटी कार्ड भी बनी! अब बात चाहे विलियम शेक्सपीयर की हो या अब्राहम लिंकन और ब्रैड पिट जैसे सुपरस्टार की! सभी की एक समय पहचान इनकी दाढ़ी रही है! हमारे रविन्द्र नाथ टैगोर और रजनीश की दाढ़ी भी उनकी पर्सनालिटी का हिस्सा थी! सांता क्लॉज यदि बिना दाढ़ी के धरती पर चले आये तो बच्चे उन्हे पहचानने से इनकार कर देंगे! अमिताभ बच्चन ने तो केवल इसलिये दाढ़ी रखी थी क्योकि उनके चेहरे पर कुछ दाग धब्बे हो गये थे! अब हालात ये है कि दाढ़ी है तो बच्चन है! बिना दाढ़ी के उनके नाती-पोते तक उन्हे शायद ही घर मे घुसने दें!
दाढ़ी तो जीवतंता का प्रमाण है! यदि ये बढ़ रही है तो आप बिना किसी शक-शुबहे के मान सकते हैं कि आप ज़िंदा हैं! किशोर कुमार ऐसे ही नहीं बता गये थे कि चलती का नाम गाड़ी और बढ़ती का नाम दाढ़ी होता है!!
सवाल ये भी है कि दाढ़ी को ना छेड़ा जाये तो वह कहाँ तक बढ सकती है! दुनिया में सबसे लम्बी दाढ़ी जिस बंदे की नापी गयी है वो हांस लांगसेथ नाम का नार्वेजियन था! 1920 के दशक में जब उनकी दाढ़ी नापी गई तो सत्रह फ़ीट चार इंच की निकली! फिलहाल सबसे लम्बी दाढ़ी रखने का रिकॉर्ड भारत के शमशेर सिंह के नाम पर है! उनकी छह फुटी लम्बी दाढ़ी गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड मे दर्ज है! और उनका ये रिकार्ड कोई पाकिस्तानी ही तोड़ेगा इस बात पर मुझे कोई शक नही है!
हो सकता है पाकिस्तान सरकार दाढ़ी बनाने वालो के खिलाफ एक और वाजिब वजह से हो! एक आदमी अपनी पूरी जिंदगी मे दाढ़ी बनाने मे नौ सौ से लेकर तीन हज़ार घंटे तक खराब करता है! दाढी ना बनाने वाले ये वक्त और नाईयों से अपना पैसा दोनो बचा लेते है! और जैसा कि सब जानते है, पैसा और वक्त बचाने वाले ही दुनिया पर राज कर सकते है! लिहाजा पाकिस्तानियों को चाहिये कि अपनी दुरंदेश सरकार की क़द्र करें! अपनी दाढ़ी और नाईयों से दूर रहे और देश की तरक़्क़ी मे अपना हाथ बँटाये!!
अमिताभ अमित – mango people