सदीनामा पत्रिका ने आयोजित की एक शाम गजल के नाम

Kolkata Hindi News, कोलकाता। सदीनामा पत्रिका द्वारा आयोजित एक “शाम गजल के नाम” जिसमें आप गजल  सुनें , गजल सीखें और गजल को समझें,  सदीनामा रोजाना  बुलेटिन ,  जो ऑनलाइन है, उसको 3 साल के लगभग हो गए हैं , गजलनामा स्तंभ निकालते हुए। इसी तत्वावधान में यह “एक शाम गजल के नाम” गजलकारों के साथ मुलाकात, बातचीत और गजल को समझने की कोशिश की गई। उनकी गजलें भी सुनी  गईं। इस कार्यक्रम के संयोजक थे सैयद इमरान शेर, निवेदक , ओमप्रकाश नूर ,जितेंद्र जीतांशु संपादक सदीनामा।

इस कार्यक्रम का संचालन तथा विषय प्रवर्तन किया जितेंद्र जीतांशु ने , स्वागत भाषण दिया मीनाक्षी सांगानेरिया ने । ओमप्रकाश नूर जो रुड़की में रहते हैं ,उन्होंने  गजलनामा  का स्तंभ के बारे में जो अनुभव थे , जिसको पा मीनाक्षी सांगानेरिया ने।  और गज़ल पर वक्तव्य दिया  प्रमोद शाह “नफीस” उन्होंने कहा ,ग़ज़ल का काफ़िला अरब के रेगिस्तान से होकर ईरान के बागों की सैर करता हुआ हिमालय और गंगा के देश भारत पहुँचा।

भारत में पहली बार 13-14 वीं शताब्दी में इसका दामन अमीर ख़ुसरो ने थामा और खुसरो के बाद संत कबीर ने इसके रूप को  संवारा – और महेंद्र पूनिया ने। हिंदी उर्दू तथा नेपाली भाषा के  गज़लकार थे ,रामनाथ बेखबर ,रीमा पांडे, नंदलाल रोशन ,प्रमोद शाह नफीस, रईस हैदर आजमी, हलीम साबिर,

शाहिद फिरोगी =, अभिज्ञात, आतिश रेजा ,एजाज अहमद, केयूर मजूमदार ,इम्तियाज केसर, भूपेंद्र सिंह बसर, रौनक अफरोज, गोपाल भित्रीकोटी, नीमा निष्कर्ष, परवेज अख्तर, अंबर सिद्दीकी, आफताब खान,  सरर रस्ती,महेंद्र सिंह पुनिया, हीरालाल साव, सुनील रोजारियो, प्रकाश किल्ला ,कोसल किशोर सिंह आदि।

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