सदीनामा पत्रिका ने आयोजित की एक शाम गजल के नाम

कोलकाता। सदीनामा पत्रिका द्वारा आयोजित एक “शाम गजल के नाम” जिसमें आप गजल सुनें, गजल सीखें और गजल को समझें। सदीनामा रोजाना बुलेटिन, जो ऑनलाइन है, उसको 3 साल के लगभग हो गए हैं, गजलनामा स्तंभ निकालते हुए। इसी तत्वावधान में यह “एक शाम गजल के नाम” गजलकारों के साथ मुलाकात, बातचीत और गजल को समझने की कोशिश की गई 33, शेक्सपियर सरणी, कोलकाता में। उनकी गजलें भी सुनी गईं।

इस कार्यक्रम के संयोजक थे सैयद इमरान शेर, निवेदक ओमप्रकाश नूर, जितेंद्र जीतांशु, संपादक सदीनामा। इस कार्यक्रम का संचालन तथा विषय प्रवर्तन किया जितेंद्र जीतांशु ने, स्वागत भाषण रखा डॉ. केयूर मजमुदार ने। ओमप्रकाश नूर जो रुड़की में रहते हैं, उनके गजलनामा का स्तंभ के बारे में जो अनुभव थे, जिनको पढ़ा मीनाक्षी सांगानेरिया ने। गजल पर वक्तव्य दिया साहित्यकार, प्रमोद शाह “नफीस” ने।

उन्होंने कहा, गजल का काफ़िला अरब के रेगिस्तान से होकर ईरान के बागों की सैर करता हुआ हिमालय और गंगा के देश, भारत पहुँचा। भारत में पहली बार 13-14वीं शताब्दी में इसका दामन अमीर ख़ुसरो ने थामा और ख़ुसरो के बाद संत कबीर ने इसके रूप को संवारा। इसके साथ ही गजल पर अपना वक्तव्य रखा साहित्यकार महेंद्र पूनिया ने जिन्होंने गजल पर विस्तार से बात की तथा कहा, गजल दिल दिमाग पर बैठती है, हम गजल को याद रखते हैं, किस तरह गजल, ‘बोल के लब आजाद हैं मेरे’, हर आंदोलन की भाषा बन गई।

हिंदी, उर्दू तथा नेपाली भाषा के गजलकार थे, रामनाथ बेखबर, रीमा पांडे, नंदलाल रोशन, प्रमोद शाह नफीस, रईस आजम हैदरी, हलीम साबिर, जगमोहन सिंह खोखर, शाहिद फ़िरोगी, अभिज्ञात, आतिश रेजा, एजाज अहमद, अल्पना सिंह, डॉक्टर केयूर मजमुदार, इम्तियाज केसर, नजीर राही, भूपेंद्र सिंह बशर, रौनक अफरोज, गोपाल भित्रीकोटी, परवेज अख़्तर, मुज्तर इफ्तेखारी, सरर रस्ती, महेंद्र सिंह पुनिया, इरम अंसारी, हीरालाल साव, सुनील रोजारियो, प्रकाश किल्ला, कौशल किशोर सिंह, आदि। धन्यवाद रखा जगमोहन सिंह खोखर ने।

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