संशोधित गैंगस्टर एक्ट 2021 @ बचके रहना रे बाबा!

मज़बूत सबूतों से समृद्ध चार्ज शीट प्लस सभी हितधारकों की कर्मठ सहभागिता इक्वल टू सजा की पूरी संभावना

आपराधिक छवि धारक व्यक्ति को लोकतंत्र के मंदिर में प्रवेश निषेध के लिए, मतदाता को सोच समझकर बटन दबाना समय की मांग – एडवोकेट किशन भावनानी

किशन सनमुख़दास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तरपर अपराधों की विभिन्न श्रेणियों पर लगाम लगाने के लिए हर देश में राष्ट्रीय व राज्य स्तरपर अनेक कानून, नियमावली, विनियम, नियम बनाए जाते हैं जिसके बलपर उन अपराधिक श्रेणियों पर नियंत्रण किया जाता है। भारत में भी राष्ट्रीय और राज्य स्तरपर माफियाओं गैंगस्टर, आतंकवादियों, संगठित अपराधों को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तरपर आईपीसी तथा राज्यों के स्तरपरगैंगस्टर एक्ट, मकोका, यूपी मकोका, दिल्ली मकोका, टाडा जो महाराष्ट्र में प्रतिबंधित किया जा चुका है, सहित अनेकों कानून उन क्षेत्रों राज्यों में अपराध किस्म और विभिशक्ता गंभीरता को देखते हुए बनाए जाते हैं। कुछ दिनों पूर्व हमने दो माफियाओं जो पूर्व सांसद विधायक भी थे, को इन एक्ट में मिली सजा के बाद पुलिस हिरासत में हत्या और अभी दिनांक 29 अप्रैल 2023 को दो माफिया भाइयों को जो पूर्व में विधायक और संसद तथा अभी एक वर्तमान संसद भी है, उन्हें एमपी एमएलए कोर्ट द्वारा गैंगस्टर एक्ट के तहत 10 वर्ष और 4 वर्ष की सजा सुनाई गई है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

जिसमें सांसद की सदस्यता भी समाप्त होने की संभावना है। हालांकि यह सजा अपराध के 16 साल बाद सुनाई गई है जो पूर्व में भी बरी हो चुके थे। अभी यूपी गैंगस्टर एक्ट 2021 में संशोधन कर विस्तृत अधिकार सुनिश्चित किए गए हैं, इसका दायरा भी बढ़ाया गया है परंतु यह तब तक असर नहीं करेगा जब तक मजबूत सबूतों से समृद्ध चार्जशीट् प्लस सभी हित धारकों की कर्मठ सहभागिता नहीं होगी, जबकि अब समय आ गया है कि हर मतदाता को यह सुनिश्चित करना होगा कि आपराधिक छवि वाले व्यक्ति को लोकतंत्र के मंदिर में पहुंचने से स्ट्रिक्टली संकल्प लेकर रोकने में मतदान ने ताकत दिखाएं जिसपर आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से इलेक्ट्रॉन मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से चर्चा करेंगे।

साथियों बात अगर हम 29 अप्रैल 2023 को एमपी एमएलए कोर्ट से आए फैसले की करें तो, गैंगस्टर से नेता बने पूर्व विधायक को गैंगस्टर एक्ट के 14 साल पुराने एक मामले में 10 साल कैद और पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। जबकि उसके बड़े भाई बसपा सांसद को चार साल की सजा और एक लाख रुपये का अर्थदंड लगाया है, इसके कुछ दिन पूर्व भी दो माफिया जिनमें एक संसद और एक विधायक रह चुका हे को सजा मिली हुई थी। साथियों बात अगर हम गैंगस्टर के मतलब को समझने की करें तो, धारा 2 (बी) एक गैंग को व्यक्तिगत रूप से या सामूहिक रूप से कार्य करने वाले व्यक्तियों के एक समूह के रूप में परिभाषित करता है, जो सार्वजनिक व्यवस्था को भंग करने या कोई अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए हिंसा या धमकी के माध्यम से, असामाजिक गतिविधियों में लिप्त हैं।

प्रावधान में ऐसी असामाजिक गतिविधियों की सूची भी शामिल है। इसमें हत्या, बलात्कार, हमला, अपहरण, जबरन वसूली, आपराधिक धमकी और धोखाधड़ी जैसे अपराध शामिल हैं. इसमें सार्वजनिक रूप से भय पैदा करना या आतंक पैदा करना और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए दूसरों को हिंसा का सहारा लेने के लिए उकसाना भी शामिल है।एक गैंगस्टर को एक गैंग के सदस्य या नेता या आयोजक के रूप में परिभाषित किया गया है, और इसमें कोई भी व्यक्ति शामिल है जो गैंग की असामाजिक गतिविधियों में सहायता करता है, जैसा कि कानून के तहत सूचीबद्ध है।

साथियों बात अगर हम संशोधित गैंगस्टर एक्ट 2021 की करें तो, यूपी गैंगस्टर नियमावली में नए प्रवधान शामिल किए गए। जिसके तहत पहले संपत्ति जब्त करने का प्रावधान वैकल्पिक था और ऐसे मामलों के अनुसार अलग-अलग फैसले लिए जा सकते थे, लेकिन 2021 के नए प्रावधान के मुताबिक गैंगस्टर एक्ट में संपत्ति जब्ती तो ज़रूरी बनाने के साथ-साथ डीएम के अधिकार और बढ़ा दिए गए। नए प्रावधान के मुताबिक एक ही अपराध करने पर भी गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की जा सकती है। जबकि इससे पहले किसी आरोपी के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई करने के लिए दो या उससे अधिक मुकदमे होना जरूरी था। नए प्रावधान के अनुसार, अब आईपीसी की धारा 376डी यानी सामूहिक दुष्कर्म, 302 यानी हत्या, 395 यानी लूट, 396 यानी डैकती और 397 यानी हत्या कर लूट जैसे संगीन मामलों में भी गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की जा सकती है।

यही नहीं, अब अगर कोई नाबालिग भी गंभीर अपराध करता है तो उसके खिलाफ भी डीएम की अनुमति से गैंगस्टर एक्ट लगाया जा सकता है। जबकि इससे पहले नाबालिग अपराधी इस कार्रवाई से बच जाते थे। नए प्रावधान के मुताबिक गैंगस्टर एक्ट के मामले में अब जांच अधिकारी को विवेचना के दौरान या चार्जशीट दाखिल करते समय संपत्ति जब्त किए जाने की रिपोर्ट भी देनी होगी। अगर जांच अधिकारी ये रिपोर्ट नहीं देगा तो डीएम इसकी वजह एसएसपी से पूछ सकते हैं. साथ ही ऐसे मामले में डीएम जांच के आदेश भी दे सकते हैं। नए प्रावधान के तहत अब गैंगस्टर एक्ट में निरुद्ध होने वाले अपराधी पर दर्ज सभी मामलों की जानकारी थानेदार को थाने के गैंग चार्ट में दर्ज करनी होगी. गैंगस्टर एक्ट के मामलों में कहीं कोई लापरवाही न हो इसके लिए डीएम हर 3 महीने में, कमिश्नर हर 6 माह में और अपर मुख्य सचिव (गृह) हर साल इसकी समीक्षा करेंगे। अगर गैंगस्टर एक्ट के तहत गलत कार्रवाई की गई है, तो अब उसे वापस भी लिया जा सकता है, जांच के दौरान डीएम उसे खारिज कर सकते हैं।

साथियों बात अगर हम इस संशोधित गैंगस्टर एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती की करें तो, 27 अप्रैल 2022 को देश की सबसे बड़ी अदालत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने के मकसद से बड़ा फैसला सुनाया था, कि अगर किसी आरोपी के खिलाफ पहली बार मुकदमा दर्ज होता है और वह अपराध में शामिल पाया जाता है तो भी उसके खिलाफ यूपी गैंगस्टर्स और एंटी-सोशल एक्टीविटी प्रीवेंशन एक्ट के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। भले ही एक्ट की धारा 2(बी) में उल्लेखित किसी भी असामाजिक गतिविधि के लिए केवल एक अपराध, एफआईआर या आरोप पत्र दाखिल किया गया हो। पीठ ने ये फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर अपनी मुहर लगाई थी, जिसमें कहा गया था कि किसी गैंग द्वारा किया गया एक अपराध भी गैंग के सदस्य पर गैंगस्टर एक्ट लागू करने के लिए काफी है।

साथियों बात अगर हम यह गैंगस्टर एक्ट के इतिहास की करें तो, भारत में गिरोह बनाकर अपराध करने वाले बदमाशों के खिलाफ सरकार ने 1986 में गैंगस्टर एक्ट बनाया और लागू किया था। गैंगस्टर अधिनियम 1986 के मुताबिक, एक या एक से अधिक व्यक्तियों का समूह जो अपराध के जरिए अनुचित लाभ अर्जित करता है या इस मकसद से एक्ट में उल्लिखित अपराध करता है तो वह गैंगस्टर कहा जाता है. चाहे वह किसी भी तरह का अपराध हो। अब भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के देशों में गैंगस्टर सक्रिय हैं, 2015 में मजबूत हुआ था गैंगस्टर एक्ट, यूपी में तत्कालीन सरकार ने गैंगस्टर एक्ट में संशोधन किया था उत्तर प्रदेश गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) (संशोधन) अध्यादेश 2015 को तत्कालीन राज्यपाल ने मंजूरी दी थी।

इसके बाद गैंगस्टर एक्ट का दायरा बढ़ गया था। गैंगस्टर एक्ट में दोषी अपराधी को न्यूनतम दो साल और अधिकतम दस साल सजा दिए जाने का प्रावधान है। इससे पहले गैंगस्टर एक्ट में केवल 15 तरह के अपराध शामिल थे, लेकिन बाद में इसके तहत आने वाले अपराधों की संख्या में इजाफा किया गया। अतः अगर हम उपरोक्त प्रकरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि संशोधित गैंगस्टर एक्ट 2021 @ बचके रहना रे बाबा! मज़बूत सबूतों से समृद्ध चार्ज शीट प्लस सभी हितधारकों की कर्मठ सहभागिता इक्वल टू सजा की पूरी संभावना है।आपराधिक छवि धारक व्यक्ति को लोकतंत्र के मंदिर में प्रवेश निषेध के लिए, मतदाता को सोच समझकर बटन दबाना समय की मांग है।

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