कोलकाता । पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी को मंगलवार कलकत्ता हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल पीठ ने स्पष्ट कर दिया है कि आगामी 17 जनवरी तक किसी भी मामले में राज्य सरकार उनके खिलाफ कोई भी कठोर कदम नहीं उठा पाएगी। उनके खिलाफ पहले से पांच प्राथमिकी दर्ज है जबकि कांथी नगर पालिका में टेंडर जारी होने और काम के वितरण मामले में भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं। इस मामले में भी प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है जिसमें शुभेंदु को नामजद किया गया था। इन तमाम मामलों को क्लब करने संबंधी अधिकारी की ओर से याचिका लगाई गई थी।
मंगलवार को इसी मामले में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने कहा है कि 17 जनवरी तक शुभेंदु की गिरफ्तारी नहीं होगी ना ही उनके खिलाफ पुलिस कोई अन्य कार्रवाई कर पाएगी। पांच जनवरी को मामले की अगली सुनवाई है। उस दिन किस आधार पर शुभेंदु के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है इस संबंध में राज्य सरकार को बताना होगा। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता सौमेंद्र नाथ मुखर्जी पक्ष रखेंगे। अधिकारी के अधिवक्ता ने कोर्ट में यह भी बताया कि हाईकोर्ट की रोक के बावजूद गत 28 नवंबर को शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ नई प्राथमिकी दर्ज की गई। इस संबंध में सारी जानकारी न्यायालय से छुपाई गई है। इस बारे में भी कोर्ट ने आगामी पांच जनवरी को स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
बबीता की नौकरी खारिज करने के लिए हाईकोर्ट पहुंची अनामिका
कोलकाता । शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले की लड़ाई लड़कर सुर्खियों में आई बबीता सरकार की भी नौकरी खारिज करने की याचिका मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में लगी है। पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी अंकिता अधिकारी की नौकरी रद्द होने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर शिक्षक के तौर पर नियुक्त हुई बबीता सरकार के सर्टिफिकेट में भी गड़बड़ी के मामले उजागर होने के बाद अब मेरिट लिस्ट में उनके बाद जगह हासिल करने वाली अनामिका ने मंगलवार को हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। उन्होंने हाईकोर्ट से अपील की है कि बबिता सरकार के सर्टिफिकेट में वाकई गड़बड़ी है तो उनकी नौकरी मुझे (अनामिका) को दी जानी चाहिए।
हालांकि एक दिन पहले ही बबीता सरकार ने खुद ही हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी और कहा था कि वह खुद न्यायालय के संज्ञान में यह मामला लाएंगी। उस मामले में भी बुधवार को सुनवाई होनी है। इधर अनामिका ने मंगलवार को याचिका लगाकर दावा किया है कि सर्टिफिकेट में उनका नंबर बबीता से ज्यादा है और नियमानुसार वह नौकरी की हकदार हैं। अनामिका की याचिका न्यायमूर्ति अमृता सिंह की एकल पीठ में स्वीकार हुई है। हालांकि उन्होंने इसे सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली की एकल पीठ में भेज दी है जहां बुधवार को बबिता की याचिका की भी सुनवाई होगी।
सर्टिफिकेट में गड़बड़ी के आरोप के बीच हाई कोर्ट पहुंची बबीता सरकार
कोलकाता । पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार की लड़ाई कलकत्ता हाई कोर्ट में वर्षों तक लड़ने के बाद शिक्षक के तौर पर नियुक्त हुई बबीता सरकार ने अपने सर्टिफिकेट में गड़बड़ी के आरोपों को लेकर उठ रहे सवाल के बीच सोमवार को एक बार फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली की एकल पीठ में उन्होंने इस मामले में सुनवाई के लिए याचिका लगाई है जिसे स्वीकार कर लिया गया है। बुधवार को इस पर सुनवाई होगी। बबीता सरकार ने कहा कि उनके सर्टिफिकेट के बारे में कई सारी बातें सोशल मीडिया में की जा रही है इसलिए उन्होंने फैसला लिया है कि वह खुद ही न्यायालय के संज्ञान में यह मामला ले आएंगी।
उनकी ओर से कोर्ट में राज्य सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि नई याचिका लगी है। इस पर बुधवार को सुनवाई होगी। अगर बबीता सरकार के सर्टिफिकेट में किसी तरह की कोई गड़बड़ी है और उसके बावजूद उन्हें शिक्षक के तौर पर नियुक्त कर दिया गया है तो यह एसएससी की भी गलती है। अगर एसएससी की गलती से किसी के दस्तावेज को जांचे बगैर नौकरी मिलती है तो यह भी बेहद दुर्भाग्य जनक है।
आरोप लगे थे कि शिक्षक नियुक्ति परीक्षा के समय बबीता सरकार का स्नातक सर्टिफिकेट नहीं आया था। बावजूद इसके उनका नंबर बढ़ाकर दिखाया गया था। इसकी वजह से उनका अकैडमिक स्कोर बढ़ गया था। बाद में जब सर्टिफिकेट मिले थे तो दावा किया जा रहा है कि उसमें उनका नंबर कम था। अगर इसमें सच्चाई है तो नियुक्ति परीक्षा के समय जो अकैडमिक स्कोर जोड़ा गया है वह कम हो जाएगा। ऐसे में मेरिट लिस्ट में उनकी जगह भी नीचे खिसक जाएगी और उनकी नौकरी पर भी खतरा बरकरार है। राज्य के पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी अंकिता अधिकारी को बर्खास्त कर उनकी जगह पर बबीता को नौकरी दी गई है।