आर बी दास की कविता : जिंदगी की तपिश

“जिंदगी” की “तपिश” को सहन कीजिए जनाब,
अक्सर वे पौधे “मुरझा” जाते हैं जिनकी परवरिश “छाया” में होती है,
कपड़ों की “मैचिंग” पहनने से सिर्फ शरीर “सुंदर” दिखेगा…
रिश्तों और हालातों से “मैचिंग” कर लीजिए पूरा जीवन सुंदर हो जायेगा…!
बात कड़वी है पर सच है,
लोग कहते हैं तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं…!
यदि लोग सच में साथ होते तो संघर्ष की जरूरत ही नहीं होती…!!
“खुश” रहने का मतलब ये नहीं कि सब कुछ ठीक है,
इसका मतलब ये है कि हमने दुखों से ऊपर उठकर जीना सीख लिया है।

डॉ. राम बहादुर दास
सलाहकार,
विश्व विद्यालय अनुदान आयोग,(UGC)

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