तीन पीढ़ियों का मनोरंजन करने वाले रेडियो बादशाह पंचतत्व में विलीन

भारतीय रेडियो के जमाने के सरताज मखमली आवाज के धनी को सैल्यूट
भाइयों और बहनों मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं, थम गई रेडियो की यह बुलंद आवाज – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर कुछ व्यक्तित्व गॉड गिफ्टेड या स्वयं अपनी मेहनत माता-पिता के सहयोग दोस्तों यारों रिश्तेदारों के सामर्थ्य से अपनी कला को इस तरह निखारते हैं कि वह दुनियां के लिए एक मिसाल बन जाते हैं, लोग उनका उस समर्थ क्षेत्र में उदाहरण और मसल देते हैं। कई पीढियां तक उनका गुणगान गाया जाता है। संगीत, कला, मानव सेवा सिनेमा, नेतृत्व, राजनीति, व्यापार व्यवसाय, स्वास्थ्य सहित अनेक ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें अनेक निपुण व्यक्तियों का अपने नॉलेज के बल पर जीते जी तो क्या उनके शरीर त्यागने के बाद भी उनकी कला के दम पर उन्हें हमेशा याद रखा जाता है। ऐसा ही एक नाम भारतीय रेडियो में आवाज की दुनिया के फनकार मखमली आवाज के धनी अमीन सयानी जी हैं, जो रेडियो पर उनके प्रोग्राम से सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था।

मेरे अपने राइट सिटी गोंदिया में मेरा परिवार इसका जीता जागता उदाहरण है। मेरे दादा जी स्व. ईंदनदास जी भावनानी ने रेडियो पर बिनाका गीत माला जो प्रति बुधवार को आता था, बहुत ध्यान से सुनते थे साथ में मेरे पिताजी स्व. सनमुखदास जी भावनानी ने और फिर उनकी तीसरी पीढ़ी मैं भी बिनाका गीतमाला रोज रात्रि 8 बजे से सुनते थे, बहुत ध्यान से सुनकर मनोरंजन करते थे। बाद में उसका नाम सिबाका गीत माला हो गया था। रेडियो क्षेत्र में अमीन साहनी की आवाज हमारे परिवार की तीन पीढियां ने बड़े चाव से सुनी। उसके बाद हमारी चौथी पीढ़ी इस नाम से थोड़ा सा अनजान जान पड़ती है। ऐसी शख्सियत का बुधवार दिनांक 21 फरवरी 2024 को 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। जिसकी जानकारी मीडिया में आते ही उनके फैन सदमें में में आ गए। इससे हम जान सकते हैं कि वह कितनी बड़ी शख्सियत थे। चूंकि तीन पीढियां का मनोरंजन करने वाले रेडियो बादशाह पंच तत्वों में विलीन हो गए हैं इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, भाइयों और बहनों मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं, थम गई यह रेडियो की बुलंद आवाज।

साथियों बात अगर हम अमीन सयानी के निधन की करें तो, भारतीयों की पीढ़ियों के लिए रेडियो को परिभाषित करने वाली महान आवाज अमीन सयानी का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया। अपने प्रतिष्ठित कार्यक्रम बिनाका गीतमाला के लिए जाने जाने वाले, सयानी की आवाज भारतीय घरों में एक प्रधान थी, जिसने देश भर में संगीत और इसके प्रेमियों के बीच की दूरी को पाट दिया। 20 फरवरी की शाम को उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उन्हें दक्षिण मुंबई के एचएन रिलायंस अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने शाम 7 बजे के आसपास अंतिम सांस ली, जैसा कि उनके बेटे राजिल सयानी ने पुष्टि की है।

साथियों बात अगर हम अमीन सयानी के बारे में जानने की करें तो, उनका जन्म 21 दिसंबर 1932 को मुंबई में हुआ। उन्होंने रेडियो की दुनिया में अपना बड़ा नाम स्थापित किया। दर्शक उनकी आवाज से सीधे तौर पर जुड़े और दिल थामकर उनके कार्यक्रम का इंतजार किया करते। अमीन सयानी ने रेडियो प्रेजेंटर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत ऑल इंडिया रेडियो, मुंबई से की थी। उनके भाई हामिद सयानी ने उनका परिचय यहां से कराया था। बता दें कि पचास हजार से अधिक कार्यक्रमों का रिकॉर्ड दर्ज रिपोर्ट्स के मुताबिक सयानी ने लगभग दस वर्षों तक अंग्रेजी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इसके बाद उन्होंने भारत में ऑल इंडिया रेडियो को लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई। रिपोर्ट्स के मुताबिक अमीन सयानी ने नाम पर 54, हज़ार से ज्यादा रेडियो कार्यक्रम प्रोड्यूस/वॉयस ओवर करने का रिकॉर्ड दर्ज है। करीब 19, हज़ार जिंगल्स के लिए आवाज देने के लिए भी अमीन सयानी का नाम लिम्का बुक्स ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है।

फिल्मों में दर्ज कराई उपस्थिति- रेडियो ने अमीन सयानी को जो पहचान दिलाई, वह बहुत आगे तक गई। वे कई फिल्मों में रेडियो अनाउंसर के तौर पर नजर आए। इनमें भूत बंगला, तीन देवियां, बॉक्सर और कत्ल जैसी फिल्में शामिल हैं। रेडियो की दुनिया में अपने योगदान के लिए अमीन सयानी को कई बड़े व प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किए गए। इनमें लिविंग लीजेंड अवॉर्ड (2006), इंडियन सोसाइटी ऑफ एटवरटाइजमेंट की तरफ से गोल्ड मेडल (1991), पर्सन ऑफ द ईयर अवॉर्ड (1992)- लिम्का बुक्स ऑफ रिकॉर्ड्स शामिल हैं। अमीन सयानी रेडियो के सबसे फेमस अनाउंस थेरेडियो सिलोन और फिर विविध भारती पर‌ लगभग 42 सालों तक चलने वाला हिंदी गीतों का उनका कार्यक्रम बिनाका गीतमाला ने सफलता के सारे रिकॉर्ड तोड़े थे और लोग हर हफ्ते उन्हें सुनने के लिए बेकरार रहा करते थे। गीतमाला के साथ अमीन भारत के पहले होस्ट गए थे जिन्होंने उभरते संगीत परिदृश्य के बारे में अपनी गहरी समझ को प्रदर्शित करते हुए एक कंप्लीट शो को क्यूरेट किया और प्रेजेंट किया था। शो की सक्सेस ने एक रेडियो वादक के रूप में सयानी की स्थिति को मजबूत कर दिया था।

साथियों बात अगर हम अमीन सयानी के प्रसिद्ध शो की करें तो, बिनाका गीतमाला साल 1952 में शुरू हुआ था। पहले ये कार्यक्रम रेडियो सिलोन पर आता था और उसके बाद ये विविध भारती पर शुरू हुआ। बिनाका गीतमाला का नाम बाद में सिबाका गीतमाला हो गया। ये कार्यक्रम 42 साल तक चला था। बिनाका गीतमाला साल 1952 में शुरू हुआ था। पहले ये कार्यक्रम रेडियो सिलोन पर आता था और उसके बाद ये विविध भारती पर शुरू हुआ। नमस्ते बहनों और भाइयों, मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं। परिचित अभिवादन और तुरंत पहचानी जाने वाली आवाज 1952 से 1988 तक रेडियो सीलोन पर हर बुधवार को अनगिनत घरों में प्रसारित होती थी, जो आज भी श्रोताओं के बीच मजबूत पुरानी यादों को जगाती है। अमीन रेडियो पर आने वाले शो बिनाका गीतमाला को होस्ट करते थे। 30 मिनट के इस रेडियो प्रोग्राम में एक के बाद एक एवरग्रीन गानों से अमीन श्रोताओं का मनोरंजन करते थे। ऑल इंडिया रेडियो के मशहूर अनाउंसर अमीन सयानी का बचपन से ही साहित्य में खास लगाव था। इसका खास कारण हैं कि अमीन की मां रहबर नामक समाचार पत्र निकालती थीं और उनके भाई हामिद सयानी भी रेडियो अनाउंसर थे। दरअसल, अमीन भी 1952 में रेडियो सीलोन से अपने करियर की शुरुआत की।

साथियों बात अगर हम माननीय प्रधानमंत्री द्वारा अमीन सयानी के निधन पर दुख व्यक्त करने की करें तो उन्होंने कहा रेडियो की दुनिया में अपनी मखमली आवाज से जादू बिखरेने वाले अमीन सयानी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुख जताया है। पीएम मोदी ने अमीन सयानी को श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया- अमीन सयानी जी की सुनहरी आवाज में एक आकर्षण और गर्मजोशी थी, जिसने उन्हें पीढ़ियों से लोगों का प्रिय बनाया। अपने काम के माध्यम से उन्होंने इंडियन ब्रॉडकास्टिंग में क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने लिस्नर्स के साथ एक खास बॉन्ड बनाया. उनके जाने से दुखी हूं। उनकी आत्मा को शांति मिले।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि तीन पीढ़ियों का मनोरंजन करने वाले रेडियो बादशाह पंचतत्व में विलीन। भारतीय रेडियो के जमाने के सरताज मखमली आवाज़ के धनी को सैल्यूट। भाइयों और बहनों मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं, थम गई रेडियो की यह बुलंद आवाज।

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