पटना। बिहार में खगड़िया के अगुवानी और सुल्तानगंज के बीच गंगा नदी पर बन रहे फोरलेन महासेतु के तीन पिलर और चार सुपर स्ट्रक्च र के नदी में समा जाने के बाद अब कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। घटना के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जांच के आदेश दिए है, तो पथनिर्माण मंत्री और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने डिजाइन को लेकर आईआईटी रुड़की की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इसकी आशंका पहले से ही थी। इधर, नदियों पर काम करने वाले विशेषज्ञ भी सवाल उठा रहे हैं।
दरअसल, खगड़िया के अगुवानी और सुल्तानगंज के बीच गंगा नदी पर बन रहे फोरलेन महासेतु पुल का कुछ हिस्सा दूसरी बार गिर गया। पिछले वर्ष अप्रैल में भी इस पुल का एक हिस्सा नदी में समा गया था। बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने रविवार देर रात पत्रकारों से कहा कि सरकार को पहले से ही आशंका थी। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष आईआईटी रुड़की, आईआईटी मुंबई ने निर्माणाधीन पुल की जांच की थी और डिजाइन को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि कई जगहों पर पुल को तोड़वाया गया।
इधर, पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि संवेदक पर कारवाई होगी। उन्होंने कहा कि नया डीपीआर बनाकर नए सिरे से निविदा निकालकर निर्माण कार्य प्रारंभ होगा। इस बीच, नदियों पर काम करने वाले भगवान पाठक का मानना है कि अब तक पुल, पुलिया टूटने को लेकर नदियों को दोष दिया जाता रहा है। अभी तो न नदी उफान पर है न धारा बदली है।
उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञों, तकनीकी विशेषज्ञों और नौकरशाहों का एक कॉकस तैयार हो गया है, जो नदियों को बांधने की कोशिश कर भ्रष्टाचार में डूबा है। उन्होंने कहा कि आखिर पुल निर्माण को लेकर गुणवत्ता और डिजाइन पर क्यों नहीं ध्यान दिया जाता। पाठक कहते हैं कि नदियों को आजाद छोड़ना होगा।
उल्लेखनीय है कि फोरलेन महासेतु सह एप्रोच पथ का निर्माण 1710 करोड़ की राशि से किया जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फरवरी 2014 को इसकी आधारशिला रखी। वही 9 मार्च 2015 को इस परियोजना का निर्माण शुरू किया गया। पहली बार अप्रैल 2022 को सुल्तानगंज की तरफ से पाया नंबर पांच गिरा था