सवाल सरकार से : घेरे में प्रतिवादी, कैसे बचे लोकतंत्र??

दीपक कुमार दासगुप्ता,
ज्योतिषी व भविष्यवक्ता

दीपक कुमार दासगुप्ता : चुनाव यानि लोकतंत्र का पर्व, जब हम अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। अपने लिए जन प्रतिनिधि व सरकार चुनते हैं लेकिन इसी के साथ कुछ सवाल भी बड़े होते जा रहे हैं, जिसका जवाब यथा शीघ्र ढूंढ़ा जाना आवश्यक है। वर्ना लोकतंत्र के मायने बदल जाएंगे । यदि कहा जाए कि यह जमाना मैनेजमेंट और मैनेज का है तो गलत नहीं होगा। सब कुछ मैनेज किया जा रहा है और हो भी रहा है । ऐसे में समाज में प्रतिवाद की संभावना दिनोंदिन कम होती जा रही है और प्रतिवादी स्वर भी कम होते जा रहे हैं। प्रति वाद के बड़े स्वर मैनेज किए जा चुके हैं। उम्मीद मुट्ठी भर उन प्रतिवादियों से है जो अपने जोखिम पर गलत का विरोध करते हैं लेकिन ऐसे प्रतिवादी घेरे में लिए जा चुके हैं।

किसी उचित शिकायत पर भी प्रति वाद करने वाले को कानूनी पचड़े में जकड़ कर और तरह – तरह से परेशान कर उनकी आवाज को कुचलने की प्रवृति बढ़ती जा रही है। ऐसा करने वाले सब गुंडे – बदमाश या माफिया हों ऐसा जरूरी नहीं है। यह गठजोड़ उन लोगों का है , जिन्हें व्हाइट कॉलर कहा जा सकता है लेकिन विरोध के स्वर इसी तरह दबाए जाते रहे तो लोकतंत्र कितने दिन सुरक्षित रह पाएगा, इस सवाल का जवाब भी हमें जल्दी तलाशना होगा, वर्ना बहुत देर हो जाएगी। पहल समाज से शुरू होकर सरकार तक जानी चाहिए …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

19 − sixteen =